Abhinav Chauhan: हाल ही में रिलीज हुई पहली जौनसारी फिल्म ‘मेरे गांव की बाट’ जगह–जगह धूम मचा रही है. फिल्म में मुख्य किरदार की भूमिका अभिनव चौहान निभा रहे हैं. अभिनव चौहान ने देहरादून से निकलकर अदाकारी की दुनिया में अपना लोहा मनवाया है. यह उनकी दूसरी फिल्म है, इससे पहले वह गढ़वाली सुपरहिट फिल्म ‘असगार’ में नजर आ चुके हैं. अभिनव की मुख्य भूमिका वाली असगार का जादू कदर दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है. दो क्षेत्रीय फिल्मों की अपार सफलता को देखते हुए अभिनव को अब बॉलीवुड से ऑफर आने लगे हैं.
देहरादून के प्रतिष्ठित स्कूल सेंट जूडस से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अभिनव ने ऐन मेरी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन ऑनर्स करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में दाखिला लिया. यहीं उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट भी रहा. पढ़ाई के साथ–साथ जनसरोकार से जुड़ी एक शॉर्ट फिल्म बनाकर उन्होंने अपने भविष्य की दिशा में पहला कदम रखा.
इन वेब सीरीज में आए नजर
उन्होंने अपनी इस शॉर्ट फिल्म का न सिर्फ निर्देशन किया बल्कि उसमें मुख्य किरदार भी निभाई है. इस फिल्म के लिए उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रथम पुरस्कार मिला. छात्र जीवन में ही अभिनव ने MTV के रियलिटी शो मिस्टर & मिसेज 7 स्टेट्स में हिस्सा लिया. फन से फनटैस्टी (Jiocinema), दून कांड (Voot), पेशावर (MX Player) और एकलव्य (दूरदर्शन) जैसी चर्चित वेब सीरीज में काम करके अभिनव ने लगातार खुद को निखारा है.
दिल्ली में अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण साल गुजारने के बाद चकराता देहरादून के मूल निवासी अभिनव चौहान ने मायानगरी मुंबई का रुख किया. जहां उन्होंने द एक्टर्स टूथ एक्टिंग स्कूल के ओनर सौरभ सचदेवा के साथ कई वर्कशॉप की. गायिकी के क्षेत्र में भी कम समय में वह काफी मशहूर हो चुके हैं. सुप्रसिद्ध गायिका वंदना श्रीवास्तव से प्रशिक्षण लेने के बाद अब तक वह ठंडी ठंडी हवा, राम की कसम, मेरी शिला और हरिपुर में आनंद सजेगा जैसी कई हिट म्यूजिक दे चुके हैं.
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गणतंत्र दिवस समारोह में गाया गीत
उनका कोदो का कोदुआ गीत पहले ही कामयाबी के झंडे गाड़ चुका है. अपनी प्रतिभा के बूते अभिनव को नई दिल्ली में आयोजित 73वें गणतंत्र दिवस समारोह में उत्तराखंड की ओर से ‘देवभूमि की पावन धरती’ नमक गीत गाने का मौका मिला था, जहां उनको खूब सराहना मिली. जौनसार बावर की पहली फीचर फिल्म "मेरे गांव की बाट" की बात करें तो यह फिल्म देहरादून के सेंट्रियो मॉल में बीते 5 दिसंबर से हाउसफुल चल रही है.
विकासनगर, मसूरी समेत 4 शहरों ने भी फिल्म देखने के लिए पिक्चर हॉल के बाहर टिकट की मारामारी है. दर्शकों की भारी डिमांड को देखते हुए अब इस फिल्म को मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में भी प्रदर्शित करने की तैयारी है. निसंदेह यह फिल्म न सिर्फ जौनसार बावर की संस्कृति को प्रचारित कर रही है, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं की ऐसी फिल्में रोजगार सृजन और कारोबार की दिशा में भी गेम चेंजर साबित होंगी.
जौनसार बावर की पहली फीचर फिल्म की परिकल्पना कई वर्षों से जौनसार बावर के फटेऊ गांव निवासी और सूचना विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत केएस चौहान के मन में थी. इसको उन्होंने निर्देशक अनुज जोशी के साथ मिलकर धरातल पर उतारा. बड़े पर्दे की जौनसार बावर की यह पहली फिल्म अब इतिहास के पन्नों पर अंकित हो गई है. श्री चौहान राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड राज्य की कला और संस्कृति को पहचान दिला चुके हैं. वह गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर निकलने वाली झांकी को कई बार पुरस्कार भी दिला चुके हैं.