Uttarakhand Tiger Death News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में वन्य जीवों की मौत के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. राज्य में बाघों की मौत का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है. आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में साल 2001 से अब तक 170 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है. विभागीय आंकड़ों की मानें तो पिछले 5 सालों में लगभग 57 बाघों की मौत हुई है. ऐसे में अब सरकार की कार्यप्रणाली पर भी उठने शुरू हो गए हैं कि आखिर वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर सरकार की क्या नीति है. 


2001 से 2023 तक हुई इतने बाघों की मौत


उत्तराखंड में बाघों की मौत का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही गया है. सरकारें वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे करती आ रही हों. लेकिन बाघों की मौत का ये आंकड़ा सरकारी दावों के पोल खोलने के लिए काफी है. साल 2001 से साल 2023 तक राज्य में 170 से ज्यादा बाघों की मौतें हो चुकी हैं. साल 2023 में ही अब तक 19 बाघों की मौत हो चुकी है. ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 


राज्य के हर जिले में बाघ की मौजूदगी


उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बाघ जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में पाए जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या ढाई सौ के करीब है. वहीं राज्य के अन्य जिलों में बाघों की मौजूदगी पाई गई है. उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां के हर एक जिले में बाघ मौजूद हैं. लेकिन उनकी मौत का आंकड़ा उत्तराखंड वन महकमे के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है.


पिछले 5 साल में ही 60 के करीब बाघों की मौत हो चुकी है. हाल ही के दिनों में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में कई बाघों की मौत हो चुकी है. पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक समीर सिंह ने बताया कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद जब पहली बार उत्तराखंड में टाइगर सेंसस हुआ, उस वक्त बाघों की संख्या मात्र 178 थी लेकिन अब यह संख्या 560 के पार पहुंच चुकी है. ये अपने आप में बेहद खास बात है. लेकिन लोग आज बाघों की मौत पर चर्चा कर रहे हैं.


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