(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Uttarakhand: कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा- 'जलवायु परिवर्तन के चलते बागवानी और फल उत्पादन में गिरावट'
Dehradun News: उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का असर अब कृषि और बागवानी क्षेत्रों पर पड़ा है. किसानों को इस कारण भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी चिंता जाहिर की.
Ganesh Joshi Statement: उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का असर अब कृषि और बागवानी क्षेत्रों पर भी साफ देखा जा सकता है. हिमालय की गोद में बसे इस राज्य को हमेशा से अपने विविध फलों और जलवायु अनुकूल परिस्थितियों के लिए पहचाना जाता रहा है, लेकिन बदलते मौसम ने किसानों के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. असामान्य बारिश, तापमान में तेजी से बढ़ोतरी, सूखा और अन्य मौसम से जुड़ी घटनाओं ने फसलों की पैदावार और गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.
राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने इस विषय पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ बागवानी क्षेत्र के समक्ष भूमि कमी और शहरी करण भी बड़ी चुनौतियों में शामिल हैं. गणेश जोशी ने कहा कि यह कमी केवल जलवायु परिवर्तन के कारण नहीं है, बल्कि राज्य का सीमित क्षेत्रफल, लगातार हो रहे शहरीकरण और बगीचों का समाप्त होना भी इसके लिए जिम्मेदार है. हम इस समस्या का समाधान करने के लिए सख्त कानून बनाने जा रहे हैं ताकि बाग-बगीचों को संरक्षित किया जा सके."
किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में हो रहा काम
गणेश जोशी ने इस बात पर भी जोर दिया कि स्थानीय किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार नई योजनाएँ शुरू कर रही है. उन्होंने कहा कि हम प्रयास कर रहे हैं कि उत्तराखंड में पैदा होने वाले पहाड़ी फलों की मिठास बनी रहे और उनकी गुणवत्ता में सुधार हो सके. आम और लीची जैसे फलों की पहचान को बनाए रखने के लिए भी सख्त कानून लागू करने की योजना है.
उन्होंने बताया कि कुछ लोग अपने बाग के पेड़ों को जानबूझकर कटवा देते हैं और फिर पुलिस में अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर देते हैं. ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी और बगीचे के मालिकों पर भी कार्रवाई की जाएगी ताकि लोग अनावश्यक रूप से पेड़ों को काटने से बचें. जलवायु परिवर्तन का उत्तराखंड की फसलों पर प्रतिकूल असर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. पिछले सात वर्षों में, राज्य के बागवानी उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. इस गिरावट का मुख्य कारण तापमान में वृद्धि, असामान्य वर्षा और सूखे की बढ़ती घटनाएँ हैं. इसके अलावा, कीटों और बीमारियों के प्रकोप ने भी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन को कमजोर कर दिया है.
कृषि और बागवानी में सुधार के लिए योजनाएं शुरू
राज्य सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कृषि और बागवानी में सुधार की विभिन्न योजनाएँ शुरू की हैं. एप्पल मिशन जैसे कार्यक्रमों के तहत किसानों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की खेती में सहायता दी जा रही है. सरकार इस योजना के तहत किसानों को जलवायु अनुकूल तकनीकें अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके अतिरिक्त, ड्रिप सिंचाई योजना के अंतर्गत किसानों को 80% सब्सिडी भी दी जा रही है, ताकि जल संसाधनों का दक्षता से उपयोग हो सके.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं और अनुसंधान की आवश्यकता है. किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण देकर उन्हें बदलते मौसम के अनुकूल कृषि के लिए तैयार करना आवश्यक है. राज्य सरकार इस दिशा में प्रयासरत है कि अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा दिया जाए ताकि पहाड़ी फलों की उपज में गिरावट को रोका जा सके.
मंत्री गणेश जोशी का मानना है कि उत्तराखंड की फल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए तकनीकी सुधार और नवीनतम कृषि तकनीकों का प्रयोग आवश्यक है. उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देंगे ताकि जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके और उत्तराखंड की बागवानी को लाभदायक बनाए रखा जा सके. इस तरह से राज्य सरकार और किसानों के समन्वित प्रयासों से उत्तराखंड की बागवानी क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाया जा सकता है.
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