Uttarakhand Election 2022: बागेश्वर जिले के इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव, जानिए- क्या कहते हैं ग्रामीण?
Uttarakhand Elections: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट विधानसभा के दर्जनों गांव में अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. वहां के गांवों में सड़क, बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं नहीं हैं.
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Uttarakhand Assembly Election 2022: आजादी के 75 सालों में हमारे देश ने बहुत तरक्की की है. लेकिन उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट विधानसभा के दर्जनों गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. सड़क, बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य के साथ ही इन गांवों में संचार की समस्या आज भी लोगों का जी का जंजाल बनी हुई है. इन दुर्गम लोकतांत्रिक पड़ावों में विकास की किरण आज तक भी नहीं पहुंच सकी है.
चुनाव दे रहा दस्तक
लोकतंत्र का उत्सव अपने चरम पर है. राजनैतिक कार्यकर्ता से लेकर निर्वाचन मशीनरी तक एक-एक मतदाता तक पहुंच बनाने के प्रयास में हैं. इसी के साथ जिले के सबसे दुर्गम में बसे मतदाताओं के दर पर भी चुनाव दस्तक दे रहा है. लोगों में मतदान का उत्साह तो है, लेकिन 75 साल के लोकतंत्र में भी पिछड़े ही रहने का मलाल भी है. कुछ ऐसा ही हाल कपकोट विधानसभा के दर्जनों गांवों का है. इन क्षेत्रों में बसे गांवों का युवा वर्ग तो आजीविका के लिए महानगरों की खाक छान रहे हैं और गांव में रह गए बूढ़े, बच्चे और महिलाएं हैं.
सुविधाओं का अभाव
कपकोट विधानसभा के गैराड़ गांव में 500 वोटर हैं. इस गांव के लोग आज भी पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए आज भी उम्मीद की किरण जगाएं बैठे हैं. लेकिन हर बार चुनाव में नेता वादे करते हैं और चुनाव के बाद इन क्षेत्रों में कोई झांकने भी नहीं आता है. हर बार ग्रामीणों की उम्मीदें जस की तस रह जाती हैं. गांव को जोड़ने वाली गैराड़ रोड का भेरूचौप्ट्टा से मिलान होना था लेकिन आज तक भी नहीं हो सका है. स्कूल सिर्फ हाईस्कूल तक ही है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें जनपद समेत पूरे प्रदेश में बदलाव की आवश्यकता है. एक ऐसे प्रतिनिधि व सरकार की आवश्यकता है जो उन्हें मूलभूत सुविधाएं मुहैया करा सके. ग्रामीण बताते हैं कि गांव में यदि कोई बीमार हो जाता है तो उसे डोली से सड़क तक और वहां से जिला अस्पताल ले जाना पड़ता है.
सुविधाओं का अभाव
विकास की दौड़ में पिछड़ा कपकोट विधानसभा का गैराड़ गांव एक छोटा उदाहरण है. इस विधानसभा के पिंडरघाटी, लाहूर, रामगंगा घाटी में बसे दर्जनों गांवों में आज तक भी संचार की सुविधा नहीं है. वहीं शिक्षा, सड़क, बिजली और स्वास्थ्य सुविधा तो यहां बसे ग्रामीणों के लिए सपना बना हुआ है. बावजूद इसके ग्रामीण हर बार चुनाव में बढ़-चढ़ इसलिए हिस्सा लेते हैं कि कभी तो उन्हें भी ये सुविधाएं मिलेगी और उनका कष्टभरा जीवन भी सुखद होगा.
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