Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड (Uttarakhand) में अब तक सीएम का नाम तय नहीं हो पाया है. यहां बीजेपी (BJP) कई सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कर रही है. पिछले राज में तीन-तीन सीएम बदलने पड़े थे इसलिए इस बार बीजेपी ठोंक-बजा अपना सीएम चेहरा पेश करना चाहती है. पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को चेहरा बना कर बीजेपी चुनाव जीत गई लेकिन धामी खुद अपनी खटीमा (Khatima)सीट हार गए. लेकिन इसके बाद भी धामी के हिमायतियों की कमी नहीं.
किसकी हो रही है मांग
बीजेपी के उत्तराखंड प्रभारी प्रह्लाद जोशी धामी की तारीफ कर चुके हैं. पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने भी धामी की पतंग को और हवा दे दी. लेकिन अपनी सीट पर हारना धामी के खिलाफ जा रहा है. ऐसे में दूसरे सवाल पर भी विचार जारी है. कई बड़े नेता विधायकों में से ही मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में हैं. धामी के अलावा धन सिंह रावत और सतपाल महाराज के नाम भी चर्चा में हैं. श्रीनगर से विधायक धन सिंह रावत राज्य सरकार में मंत्री हैं. बीजेपी का युवा चेहरा और संगठन में महत्वपूर्ण पदों का अनुभव है और राज्य में प्रभावी क्षत्रिय समाज से आते हैं.
कौन है पर्यवेक्षक
चर्चा एक और नाम पर गर्म हैं वो हैं राज्य के कद्दावर नेता सतपाल महाराज. वो इसलिए क्योंकि आध्यात्मिक गुरू छवि बीजेपी के मुफीद हैं और चुनाव प्रबंधन के माहिर खिलाड़ी हैं. लेकिन कांग्रेस की पृष्ठभूमि सतपाल महाराज के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. ऐसे में बीजेपी की चुनौती है अंदरूनी खींचतान को खत्म कर एक नाम पर सहमति बनाने की. सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड के लिए धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल को पर्यवेक्षक तय किया गया है. जो जल्द ही उत्तराखंड के नए सीएम का चयन करेंगे. वैसे उनके सामने एक चुनौती पहाड़ी बनाम मैदानी को साधने की भी है. इस जंग को राज्य बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक के नाम से हवा मिल रही है.
मदन कौशिक की राह में रोड़ा
मदन कौशिक की अगुवाई में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है. 2002 से मदन कौशिक हरिद्वार से लगातार विधायक हैं और दो बार राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. पहाड़ी राज्य में मैदानी इलाके से होना मदन कौशिक की राह में रोड़ा बन सकता है. लेकिन ये सारी कवायद पार्टी में अंदरखाने में चल रही है बाहर से तो एक ही आवाज है होली के बाद बीजेपी का सीएम शपथ लेने जा रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि इन सवालों का बीजेपी क्या हल खोजती है. क्या पुराना चेहरा बीजेपी उतारेगी या नए चेहरे पर भरोसा करेगी.
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