उत्तराखंड: बीजेपी में शामिल हुए निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार, यमुनोत्री से लेकर धनोल्टी तक है प्रभाव
Uttarakhand Elections: प्रीतम सिंह पंवार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए.
Uttarakhand Assembly Elections 2022: उत्तराखंड क्रांति दल से अपनी राजनीति का ककहरा शुरू करने वाले प्रीतम सिंह पंवार (Pritam Singh Panwar) की राजनीति में आज का दिन टर्निंग पॉइंट रहा. राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक (Madan Kaushik) ने संयुक्त रूप से इस योजना को अंजाम दिया. आज बीजेपी (BJP) के राष्ट्रीय कार्यालय में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस समय धनोल्टी से बतौर निर्दलीय विधायक पंवार विधानसभा के सदस्य हैं. उत्तरकाशी के यमुनोत्री से लेकर टिहरी जिले के धनोल्टी तक प्रभाव रखने वाले पंवार का भाजपा में शामिल होना उत्तराखंड में विरोधी दलों के बीच खलबली मचाने वाला रहा.
कौन है प्रीतम सिंह पंवार?
प्रीतम सिंह पंवार ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनवाने के लिए चलाये गए आंदोलन में भाग लिया और एक बार जेल भी गए. अलग राज्य बना तो साल 2002 में पहले चुनाव उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के टिकट पर उत्तरकाशी की यमुनोत्री विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद 2012 में भी यूकेडी के टिकट पर ही एक बार फिर यमुनोत्री सीट से ही विधायक निर्वाचित हुए और कांग्रेस सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे. लेकिन 2017 में उन्होंने यूकेडी का दमन छोड़ने के साथ ही यमुनोत्री विधानसभा सीट को भी अलविदा कह दिया और टिहरी की धनोल्टी सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत भी गए. उन्होंने भाजपा के नारायण सिंह को शिकस्त दी जो कि निशानेबाज जसपाल राणा के पिता हैं. वह फ़िलहाल पशोपेश में थे कि आगे का सियासी सफर कैसे आगे बढ़ाया जाय, लेकिन आज उन्होंने भाजपा ज्वाइन करने के बाद आगे की तस्वीर साफ़ कर दी है.
जा सकती है विधानसभा की सदस्यता
संविधान में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक या सांसद बनता है तो वह किसी राजनीतिक दल की सदस्यता नहीं ले सकता. यदि वह ऐसा करता है तो उसकी सदस्य्ता समाप्त कर दी जाएगी. लेकिन चूंकि चुनाव नजदीक है और किसी की शिकायत पर यह काम विधानसभा अध्यक्ष को करना होता है और अध्यक्ष भाजपा के हैं इसलिए फ़िलहाल सदस्यता पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है. लेकिन यदि किसी ने शिकायत की तो विधानसभा अध्यक्ष को सुनवाई करनी होगी, वह बात और है कि वो सुनवाई कितने दिन में खत्म करें.
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