Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड में चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियां जोर शोर से तैयारियों में जुटी हैं. भाजपा और कांग्रेस तो दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं तो वहीं पहली बार उत्तराखंड में चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी भी पीछे नहीं है लेकिन बसपा और सपा की उत्तराखण्ड में फिलहाल कोई तैयारी नजर नहीं आ रही. पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में दमखम के साथ चुनाव लड़ रही बसपा और सपा की उत्तराखंड में कुछ खास तैयारी नजर नहीं आ रही है.
हरिद्वार की सीटों पर बसपा के प्रत्याशी घोषित
उत्तराखंड में दोनों ही पार्टियों की चुनावी तैयारी ना के बराबर है. ना तो रैलियां हुईं और ना ही चुनावी कैंपेन चलाया जा रहा है लेकिन इतना जरूर है कि बसपा ने हरिद्वार जिले की 5 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं लेकिन समाजवादी पार्टी इसमें भी अभी आगे नहीं बढ़ पाई. कभी किंग मेकर की भूमिका में रही बहुजन समाज पार्टी की चुनावों की बड़े स्तर पर कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है.
सपा की खास तैयारी नहीं
बसपा नेता कह रहे हैं कि चुनावों के लिए बसपा जमीनी स्तर पर काम कर रही है. बसपा को रैलियों से ज्यादा जनता पर भरोसा है. बात अगर समाजवादी पार्टी कि की जाए तो उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी का बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है और ना ही अभी तक किसी विधानसभा चुनाव में सपा का कोई विधायक जीत कर आया है लेकिन हर बार विधानसभा चुनावों में सपा दमखम के साथ चुनाव लड़ने की बात करती है. इस बार भी यही दावे किए जा रहे हैं लेकिन चुनावों को लेकर सपा की कोई खास तैयारी नजर नहीं आ रही.
दोनों पार्टियों का खास जनाधार नहीं
हालांकि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सचान का कहना है कि सपा ने अपनी तैयारी शुरू से ही कर दी थी. कुमाऊं से लेकर गढ़वाल मंडल में चुनावी तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं. उनका कहना है कि सपा बीजेपी और कांग्रेस की तरह नहीं है जो पैसे देकर भीड़ जुटाए. पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा दोनों की सरकार रही है लेकिन उत्तराखंड में ये दोनों ही पार्टियां संघर्ष की स्थिति में हैं. हालांकि बसपा के 2002, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में विधायक जीते लेकिन 2017 के चुनावों में बसपा का भी खाता नहीं खुल पाया. समाजवादी पार्टी उत्तराखंड के चुनावों में अपना खाता तक नहीं खोल पाई और इस बार भी दोनों पार्टियों की यही स्थिति नजर आ रही है.
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