Uttarakhand News: उत्तराखंड के गोला आगरा में राजकीय प्राथमिक स्कूल (Government Primary School) 10 साल से एक टीचर के भरोसे चल रहा है स्कूल (School) में तैनात टीचर संजय कुमार टम्टा प्रधानाध्यापक (Principal) की जिम्मेदारी संभालने के साथ-साथ बच्चों को पढ़ाते भी हैं और कार्यालयी कामकाज भी उन्हें ही करना पड़ता है. टीचरों की कमी का असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है. वर्ष 2015 में टीचर टम्टा की तैनाती गोला आगरा में हुई थी. उनकी तैनाती के समय स्कूल के छात्र संख्या 12 थी. स्कूल में तैनाती के समय उन्होंने छात्र संख्या बढ़ाने और शिक्षण कार्य को बेहतर करने पर जोर दिया.
2016 में स्कूल की छात्र संख्या बढ़कर 38 तक पहुंच गई. बावजूद इसके स्कूल में टीचर की तैनाती नहीं हो सकी. जिससे बच्चों की संख्या लगातार घटती गई. टीचर टम्टा कोरोना काल में भी अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति समर्पित रहे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रहने वाले बच्चों के लिए उन्होंने नोट्स बनाएं और उनका वितरण घर घर जाकर किया. वर्तमान में स्कूल में 38 के मुकाबले 16 रह गई.
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जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग नहीं ले रहा है संज्ञान
टीचर ने कहा कि स्कूल में एकल टीचर होने से पढ़ाई के लिए पूरा समय देने में परेशानी होती है. प्रधानाध्यापक के कार्य, एमडीएम, कार्यालयी कार्य भी करने पड़ते हैं ऐसे में बच्चों को पढ़ाने के लिए कभी-कभी एक्स्ट्रा क्लास लगानी पड़ती है. बताया की कई बार विभाग को परेशानी से अवगत कराया गया लेकिन टीचर की तैनाती नहीं हो सकी. वहीं एसएमसी अध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि उनके द्वारा लगातार स्कूल में टीचरों स्टाफ की तैनाती की मांग को लेकर ज्ञापन दिए गए हैं लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग इस पर ध्यान नहीं दे रहा है उन्होंने कहा की स्कूल में टीचर उपलब्ध नहीं होने की वजह से छात्रों की संख्या लगातार घट रही है. ग्रामीण बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं होने की वजह से 50-50 किलोमीटर दूर बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. जिस वजह से गांव से भी पलायन हो रहा है.
अभिभावक ने क्या कहा?
वहीं अभिभावक दिनेश चंद ने बताया स्कूल में जो पढ़ाई 5 टीचरों के द्वारा कराई जानी चाहिए वह पढ़ाई एक टीचर करा रहा है. उन्होंने कहा कि स्कूल की दुर्गति का जिम्मेदार केवल शासन-प्रशासन है जिस वजह से स्कूल में ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं भेज रहे हैं. उन्होंने कहा एक टीचर से किस तरह से 5 क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता है वह देखना हो तो गोला आगरा में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि टीचर संजय कुमार अगर अपना समय ज्यादा ना दें तो बच्चों की पढ़ाई पूरी हो ही नहीं सकती. उनकी पढ़ाने की निष्ठा की वजह से ही वहां अभी भी कुछ बच्चे पढ़ रहे हैं. शासन प्रशासन को इसके लिए जल्द से जल्द संज्ञान लेना चाहिए. यहां तक की सफाई व्यवस्था भी खुद टीचर को करनी पड़ती है.