Uttarakhand Flower Vally News: उत्तराखंड की खूबसूरत फूलों की घाटी अपनी खूबसूरती के लिए और अपनी जैव विविधता के लिए जानी जाती है. यह 600 से अधिक फूलो की प्रजातियां है. यहां आप को खूबसूरत नजारे देखने को मिलते है. साथ में हिम तेंदुए नीली भेड़ काले भालू और अनछुए पक्षी भी मिलेंगे फूलों की घाटी किसी जन्नत से कम नहीं. इसकी खूबसूरती निहारने चमोली जिले में 87 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के मुख्य क्षेत्रों में से एक है.


फूलों की घाटी एक ऐसा स्थान है, जहां प्रकृति एक लुभावनी अनुभव प्रदान करते हुए पूरी महिमा के साथ खिलती है. ऑर्किड, पॉपी, प्रिमुलस, गेंदा, डेज़ी और एनीमोन जैसे विदेशी फूल (600 से अधिक प्रजातियां) एक आकर्षक दृश्य हैं.घाटी की यात्रा में झरने और जंगली झरनों जैसे आकर्षक दृश्य दिखाई देते हैं. समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह घाटी ग्रे लंगूर, उड़ने वाली गिलहरी, हिमालयी नेवला और काले भालू, लाल लोमड़ी, नींबू तितली जैसी दुर्लभ और अद्भुत वन्यजीव प्रजातियों का भी घर है. 


फ्रेक सिडनी स्मिथ ने की थी इसकी खोज
फूलो की घाटी खोज वनस्पति शास्त्री फ्रेक सिडनी स्मिथ ने की थी. फ्रेक जब कमेंट पर्वतारोहण से वापस आ रहे थे. तो रास्ते में भटक गए. भटकते हुए वो फूलों की घाटी पहुंचे फूलों से खिली सजी इस जन्नत जैसी घाटी को देख वो मंत्रमुग्ध हो उठे. 1937 में फ्रेक एडिनबरा बॉटनिकल गार्डन की तरफ से फिर से इस घाटी में आए और तीन महीने तक यहां रहे. उन्होंने वैली और फ्लावर्स पर एक किताब भी लिखी. इस तरह पूरे विश्व को इस घाटी के बारे में पता चला. रोचक बात तो ये है कि हर 15 दिन में आपको इस घाटी का रंग बदलता हुआ दिखाई देगा.


1982 में बना राष्ट्रीय पार्क
फूलों की घाटी को राष्ट्रीय पार्क के रूप में 1982 में स्थापित किया गया था. यह उत्तराखंड  के चमोली में स्थित है. यहां फूलों को सबसे अच्छी तरह से मई और अक्टूबर के महीनों के बीच देखा जा सकता है. यह वह समय होता है. जब यह क्षेत्र एक वनस्पति वंडरलैंड में बदल जाता है. हालांकि फूलों की अधिकतम बहुतायत जुलाई से सितंबर के दौरान होती है.यहां हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते है. इसकी सुरक्षा के लिए फॉरेस्ट के कर्मचारी पहरा देते रहते है.


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