देहरादून: उत्तराखंड का मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस का नारा दिया था और विकास कार्यों में गुणवत्ता को लेकर कोई कंप्रोमाइज नहीं करने का संदेश देने की भी कोशिश की थी. लेकिन, इस दौरान हुए कामों की पोल बड़ासी के उस पुल ने खोल दी है, जो 3 सालों में ही भरभरा कर जमीन पर आ गिरा.
3 साल पहले बना था पुल
देहरादून के रायपुर क्षेत्र में बड़ासी पुल का टूटना कोई सामान्य बात नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि ये पुल 2018 में 3 साल पहले ही बना था. लेकिन, इतनी जल्दी इस पुल का टूट जाना कई सवाल खड़े कर रहा है. इसी को लेकर एबीपी गंगा की टीम ने मौके पर पहुंचकर पुल के टूटे हिस्से को देखा तो पता चला कि इसमें लगाए गए पुस्ते में सरिये का उपयोग बेहद कम दिखाई दे रहा था. हालांकि, इसका खुलासा तो जांच के बाद ही हो पाएगा लेकिन दी गई जानकारी के अनुसार 2018 में इस पुल को बनाया गया था और इसका शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था.
लोग करते रहे हैं शिकायत
खास बात ये है कि इस पुल से ठीक पहले बनाए गए भोपाल पानी के पुल में भी खराब गुणवत्ता की ऐसी ही शिकायतें मिली थी जिसके बाद मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ इंजीनियर को सस्पेंड भी किया था. ऐसे में सवाल उठता है कि इस दौरान बनाए गए पुलों में एक के बाद एक गड़बड़ी क्यों सामने आ रही है. इस पर स्थानीय लोगों से जब हमने बात की तो पता चला कि लोग भी इसकी गुणवत्ता को लेकर शिकायत करते रहे हैं और अब जब ये पुल टूट चुका है तो इसके बाकी हिस्से के भी टूटने का खतरा बना हुआ है. बावजूद इसके किसी विभागीय कर्मचारी को तैनात नहीं किया गया है. जान को दांव पर रखकर पुल के किनारे से निकलते लोगों को रोकने के लिए भी कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं दिखाई दी.
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