उत्तराखंड की वह विधानसभा सीट जहां कभी नहीं गली BJP की दाल, क्या उपचुनाव में दिखाएगी कमाल?
Uttarakhand BY Poll 2024: उत्तराखंड में विधानसभा उपचुनाव का गणित हमेशा सत्ताधारी दल के पक्ष में झुका रहा है. अब तक हुए 15 में से 14 उपचुनावों में सत्ता पक्ष को जीत मिली है.
Manglaur By Elections 2024: उत्तराखंड की मंगलौर विधान सभा के लिए होने वाले उप चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने अपने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. कांग्रेस ने यहां से काजी निजामुद्दीन को अपना प्रत्याशी बनाया है जब की बीजेपी ने करतार सिंह बड़ाना को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं बीएसपी ने यहां से दिवंगत विधायक सरवर करीम अंसारी के पुत्र उदेबुर्रहमान को अपना प्रत्याशी बनाया है. मंगलौर विधान सभा को से हमेशा से मुस्लिम उम्मीदवार ही विधान सभा पहुंचता रहा है. साल 2002 से साल 2022 तक केविधानसभा चुनाव में यहां से कभी बीजेपी नहीं जीत पाई.
मंगलौर विधानसभा सीट राज्य गठन के बाद अस्तित्व में आई थी.इससे पूर्व मंगलौर क्षेत्र लक्सर विधानसभा का हिस्सा हुआ करता था. राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 और 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में बसपा से काजी निजामुद्दीन ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी। पहली बार उन्होंने लोकदल के प्रत्याशी और दूसरी बार कांग्रेस के हाजी सरवत करीम अंसारी को हराया था. भाजपा दोनों बार चौथे स्थान पर रही थी. इसके बाद वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं ने पाला बदल लिया था. बसपा से दो बार विधायक रहे काजी निजामुद्दीन ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था जबकि हाजी सरवत करीम अंसारी बसपा में शामिल हो गए थे.
उत्तराखंड में उपचुनाव का क्या है इतिहास?
उत्तराखंड में विधानसभा उपचुनाव का गणित हमेशा सत्ताधारी दल के पक्ष में झुका रहा है. अब तक हुए 15 में से 14 उपचुनावों में सत्ता पक्ष को जीत मिली है. उत्तराखंड में विधानसभा का पहला उपचुनाव 2002 में रामनगर सीट पर हुआ, जहां तत्तकालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. इसके बाद प्रथम विधानसभा में ही द्वाराहाट से यूकेडी
विधायक विपिन त्रिपाठी के निधन से उपचुनाव कराना पड़ा जिसमें यूकेडी के टिकट पर त्रिपाठी के पुत्र पुष्पेश त्रिपाठी निर्वाचित हुए. इसके बाद प्रदेश में 13 सीटों पर अलग- अलग समय में उपचुनाव हो चुके हैं, जिसमें हर बार हमेशा की तरह सत्ताधारी दल को सफलता मिली है, हालांकि लोकसभा उप चुनावों में विपक्ष को भी जीत मिली है.
क्या इस बार खत्म होगा बीजेपी का सूखा?
मंगलौर का समीकरण किसी भी लिहाज से बीजेपी के लिए ठीक नही बैठता है. ये विधान सभा सीट पूरी तरह मुस्लिम मतदाताओं पर आधारित है. यहां आज तक बीजेपी का खाता नहीं खुल पाया है. इस बार उप चुनाव में बीजेपी ने दांव जरूर खेला है लेकिन उसके सामने कांग्रेस और बीएसपी बड़ी मुश्किल हैं.ल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को यह से 23001 मतों की बढ़त मिली थी.
मंगलौर विधान सभा के 2022 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 1,09,503 है. जिसमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 58,658 है, जबकि 50,820 महिला मतदाता हैं.साल 2023 में मतदाताओं की संख्या बढ़ चुकी है. अब ये संख्या 1,19,930 है. इसमें से पुरुष मतदाता 63,287,महिला मतदाता 56,616 एवं तृतीय लिंग 26 हैं.