Uttarakhand News: उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार की चर्चा तेज, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने की बैठक
Uttarakhand News: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कैबिनेट का फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है. वहीं उन्होंने सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर उन्होंने फैसले को सही ठहराया.
Uttarakhand Cabinet Expansion: उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार (Uttarakhand Cabinet Expansion) की सुबगुहाट के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट (Mahendra Bhatt) का बयान आया है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट में खाली पड़े पदों को भरने का विषय केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) का है. उन्होंने जल्द से जल्द कैबिनेट विस्तार की वकालत की. आपको बता दें कि आज बीजेपी प्रदेश कार्यालय में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की मुलाकात हुई थी. दोनों नेताओं की बैठक में कैबिनेट विस्तार पर चर्चा हुई.
सतपाल महाराज संग मुलाकात पर क्या बोले महेंद्र भट्ट?
महेंद्र भट्ट ने सतपाल महाराज के साथ मुलाकात को औपचारिक बताया. उन्होंने दावा किया कि आगामी कार्यक्रमों के सिलसिले में सतपाल महाराज से बातचीत की गई. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कैबिनेट का फैसला का फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है. उत्तराखंड में आगामी 6 महीनों तक सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने फैसले को सही ठहराया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों का राज्य है.
'यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार हो चुका तैयार'
प्रदेश में मानसून के दौरान इमरजेंसी जैसे हालात बन जाते हैं. सरकारी कर्मचारियों के ड्यूटी पर होने से ज्यादा दिक्कत नहीं होंगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गुजरात जैसे हालात को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है. पहाड़ों में पहले भी प्राकृतिक आपदा आई है. कर्मचारी सरकार का तंत्र होता है. विपदा के समय सरकारी मुलाजिमों की मदद लेने का सरकार ने फैसला लिया है. समान नागरिक संहिता पर बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यूसीसी लागू करनेवाला उत्तराखंड पहला राज्य होगा. उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है. उन्होंने साफ कर दिया कि यूसीसी कानून सभी के लिए बनेगा. कानून के लिए हर तबके का सुझाव मांगा गया था. उन्होंने कहा कि देश में एक समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए संसद से भी कानून पारित होना चाहिए.