Chamoli Viral Video: चमोली जिले के हेलंग घाटी में ग्रामीण महिलाओं से घास के गठ्ठर छीनने व महिलाओं को थाने ले जाकर छह घंटे तक बैठाकर उनका चालान काटने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. सामाजिक संगठनों के विरोध के बाद अब मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दरबार तक पहुंच गया है, जिसके बाद कार्रवाई का मांग तेजी से उठने लगी है. 


वीडियो वायरल होने के बाद उठे सवाल
जल, जंगल, जमीन हक हकूक के दावों व हरेला पर्व के जबरदस्त प्रचार प्रसार के बीच चमोली जिले से वायरल एक वीडियो ने सिस्टम की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए. हेलंग घाटी से घास का गट्ठर लेकर आ रही दो महिलाओं से पहले पुलिसकर्मियों की नोकझोंक होती रही इसके बाद इन्हे थाने लाकर छह घंटे बैठाकर 250 रुपये का चालान भी थमा दिया गया. इस वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए अलग अलग सामाजिक संगठनों के विरोध के बाद अब सवाल भी उठने लगे है कि जंगल वनों में रहने वाले लोगों का क्या पशुओं के लिये घास ले जाने पर भी अधिकार नहीं रहा है. जबकि लीडर आफ अपोजिशन यशपाल आर्य के मुताबिक एक ओर हरेला का शोर मचाया जा रहा है। और ग्रामीण घास के लिये तरस रहे है.



यशपाल आर्य का सरकार पर आरोप

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि एक ओर सरकार हरेला पर्व को बड़े धूमधाम से मना रही है, पर्यावरण दिवस का नाम दे रही है और वृक्ष लगाए जा रहे हैं, वृक्ष ही जीवन है इसका संदेश सरकार दे रही है लेकिन जो हक हकूक के दावों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. हमारी माताएं, बहनें अपने पशुओं के लिए उनके भोजन के लिए घास काट रही है और लेकर आ रही हैं तो उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है, उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात हो रही है, वीडियो भी वायरल हो रहा है और सरकार कह रही है कि इसका संज्ञान लेंगे और फिर कार्रवाई करेंगे. ये निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण भी है और पहाड़ की बेबसी का भी दर्शाता है. 



कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने दी सफाई

वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि ये मामला जब मेरे संज्ञान में आया तो मैंने तत्काल जिलाधिकारी चमोली से बात की और हमारे वन विभाग के मुखिया से भी बात की, ये जमीन टीएचडीसी को स्थानांतरित है और टीएचडीसी का उस जगह पर खेल मैदान बनाना प्रस्तावित है. गांव के लोगों को समझाने के बाद सभी लोग चले गए लेकिन दो परिवार ऐसे हैं जो उसका विरोध कर रहे हैं. उनको समझाया जा रहा था. वो फॉरेस्ट विभाग से नहीं थे, सीआईएसएफ और पुलिस थी, उन्हें चालान करने के लिए थाने ले जाया गया था. इस मामले में जांच बिठा दी है और जिलाधिकारी को भी जांच करने के बाद जांच रिपोर्ट देने को कहा है. 

 

जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल हाल ही में इस घटना का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें तीन महिलाएं और एक पुरुष चारा पत्ती लेकर आ रहे थे. हाईवे पर आने के बाद उन्हें सीआईएसएफ और पुलिस के जवानों ने रोक लिया. जिसके बाद उनमें विवाद हो गया. पुलिस ने डंपिंग जोन को प्रतिबंधित बताते हुए यहां से चारा पत्ती न लेने को कहा जबकि महिलाओं ने कहा कि यह उनकी चारापत्ती की जमीन है और वो यहीं से इसे लेकर जाएंगे. इसके बाद जवानों ने उनसे जबरन चारे के गठ्ठर छीन लिए और महिलाओं को जबरन वाहन में बिठाकर जोशीमठ थाने ले आई. 

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महिलाओं ने लगाया ये आरोप
महिलाओं का आरोप है कि उनको जबरन छह घंटे तक पुलिस वाहन और थाने में बिठाने के बाद 250-250 रुपये का चालान कर छोड़ा गया. उनका कहना है कि इस जमीन से वह मवेशियों के लिए चारा पत्ती लेकर आते हैं. इसके साथ ही उन्होंने चारा पत्ती और मवेशियों को चराने के लिए उपयुक्त स्थान चिन्हित करने की मांग की इस मामले पर थानाध्यक्ष विजय भारती ने कहा कि शांति व्यवस्था बनाने के लिए उन्हें वाहन से थाने में लाया गया था. 


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