उत्तराखंडः राज्य से बाहर के लोगों को भी चारधाम यात्रा की इजाजत, कुछ शर्तों का करना होगा पालन
सभी धामों में थर्मल स्क्रीनिंग और सेनिटाइजेशन के बाद ही मंदिरों में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि मास्क पहनना और सामाजिक दूरी की अनिवार्य शर्तों का भी पालन किया जा रहा है.
देहरादूनः उत्तराखंड के निवासियों के लिए चारधाम यात्रा शुरू करने के बाद अब अन्य राज्य के लोगों को भी कोरोना वायरस की निगेटिव जांच रिपोर्ट के साथ चारधाम यात्रा की अनुमति दी जाएगी. उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने शुक्रवार को कहा कि चारधाम यात्रा पर जारी नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के तहत प्रदेश से बाहर के लोग भी कुछ शर्तों के साथ चारधाम यात्रा पर आ सकते हैं.
72 घंटे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट जरूरी
शुक्रवार 24 जुलाई को देहरादून में प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि अगर बाहरी प्रदेशों से आने वाले लोगों के पास 72 घंटे पहले की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट और बोर्ड से जारी ई—पास हो तो वे प्रदेश में स्थित चारों धामों की यात्रा पर आ सकते हैं.
कई दिनों की चर्चा के बाद बोर्ड ने एक जुलाई से प्रदेश में रहने वाले लोगों को चार धामों— बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—धाम की यात्रा पर जाने की अनुमति दे दी थी.
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बीच चारधाम यात्रा को गति देने के लिए बाहरी प्रदेशों के लोगों को प्रदेश सरकार और देवस्थानम बोर्ड द्वारा चारधाम यात्रा की अनुमति दी जा रही है. उन्होंने कहा कि भविष्य में हालात सामान्य होने पर चारधाम यात्रा को अधिक गति दी जायेगी.
थर्मल स्क्रीनिंग और सामाजिक दूरी का रखा जा रहा ध्यान
रमन ने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि चारों धामों में धीरे-धीरे तीर्थयात्रियों की आवाजाही हो ताकि पर्यटन एवं तीर्थाटन को गति मिल सके. उन्होंने साथ ही बताया कि अभी तक उत्तराखंड के दस हजार से अधिक तीर्थयात्री चारधामों के दर्शन कर चुके हैं और देवस्थानम बोर्ड शुक्रवार तक 21,178 ई-पास जारी कर चुका था.
सभी धामों में थर्मल स्क्रीनिंग और सेनिटाइजेशन के बाद ही मंदिरों में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि मास्क पहनना और सामाजिक दूरी की अनिवार्य शर्तों का भी पालन किया जा रहा है.
रमन ने कहा कि यात्रा मार्ग पर देवस्थानम बोर्ड के यात्री विश्राम गृहों को तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु खोला जा चुका है. उन्होंने कहा कि उनसे अपेक्षा की जा रही है कि बेहद जरूरी होने पर ही वे धामों में रूकें और कोशिश करें कि मंदिरों में दर्शन के बाद पास के स्टेशनों तक वापस आ जायें.
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