Chardham Yatra 2022: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा इस साल नया रिकॉर्ड बनाएगी, क्योंकि यात्रा सीजन के शुरुआत में ही यात्रियों की संख्या 24 लाख के करीब पहुंच गई है और 32 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. इस स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि यात्रा सीजन में इस बार यात्रियों की संख्या करोड़ों में होगी. 2013 की आपदा और कोरोना के बाद ये पहली बार होगा. जब यात्रियों की संख्या इतनी ज्यादा होगी. इससे सरकार और व्यापारियों को बड़ा फायदा पहुंचने की उम्मीद है.


श्रद्धालुओं के आने से रोजगार को फायदा
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा आर्थिक रूप से भी जुड़ी हुई है. ज्यादातर लोगों का व्यवसाय चार धाम यात्रा पर ही निर्भर करता है. ऐसे में पिछले 2 साल से कोरोना की वजह से यात्रा ना होने से व्यापारी मायूस थे, लेकिन इस बार उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने से उनके चेहरे भी खिले हुए हैं. सरकार भी इसी कोशिश में है कि चार धाम आने वाले यात्रियों को किसी तरह दिक्कत न हो. सबसे बड़ी मुश्किल अगले महीने से शुरू हो रहे मानसून सीजन में आती है जब चारधाम यात्रा के मार्गों पर लैंडस्लाइड की घटनाएं देखने को मिलती हैं. 


मानसून से पहले व्यवस्था बनाने में जुटी सरकार


जाहिर है मानसून में यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ऐसे में सभी विभागों को व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं. खासकर पीडब्ल्यूडी विभाग को अति संवेदनशील पॉइंट चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं. जहां भूस्खलन की ज्यादा घटनाएं होती हैं. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि इस बार यात्रा बहुत अच्छी चल रही है और यात्रियों की संख्या में हुआ इजाफा ये संकेत है कि आने वाले दिनों में यात्रियों की संख्या और बढ़ेगी.
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24 लाख श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन
उत्तराखंड में 3 मई से चार धाम यात्रा की शुरुआत हुई थी. सबसे पहले 3 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले थे. 6 मई को बाबा केदारनाथ और 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले थे. तब से लेकर अब तक चारों धामों में 24 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं वही 32 लाख तीर्थयात्री ऐसे हैं जो यात्रा में आने के लिए रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं. इनमें कई यात्री ऐसे हैं तो बरसात का सीजन शुरू होने से पहले ही यात्रा करना चाहते हैं. माना जा रहा है कि जून महीने के अंत तक यात्रियों को इस संख्या 30 लाख के पार होगी. क्योंकि बरसात के सीजन में पर्वतीय क्षेत्रों में काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं, इसीलिए सरकार व्यवस्था बनाने में जुटी हुई है. 


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