Uttarakhand News: उत्तराखंड की मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में धांधली का बड़ा मामला सामने आया है. कोविड-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता या संरक्षक को खो चुके बच्चों की सहायता के लिए शुरू की गई इस योजना में 113 अपात्र बच्चों को लाभ मिलता पाया गया है, जिनमें से आठ बच्चे अब जीवित नहीं हैं. महिला कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि योजना में हुई इस अनियमितता की पुष्टि विभागीय जांच के दौरान हुई.
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की शुरुआत एक जुलाई 2021 को हुई थी, जिसका उद्देश्य उन बच्चों की सहायता करना था जिन्होंने 1 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 के बीच कोविड-19 या अन्य बीमारियों के कारण अपने माता-पिता या संरक्षक को खो दिया था. योजना के तहत 21 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को तीन हजार रुपये मासिक आर्थिक सहायता दी जाती है. शुरुआत में, इस योजना से 6,544 बच्चों को लाभान्वित किया गया था, लेकिन बाद में 684 बच्चों को 21 वर्ष की आयु पूरी होने पर योजना से बाहर कर दिया गया.
विभागीय जांच में मिली अनियमितताएं
वित्तीय वर्ष 2023-24 में की गई विभागीय जांच के दौरान 113 अपात्र बच्चों का पता चला, जिन्हें योजना का लाभ मिलता रहा. निदेशक प्रशांत आर्य के अनुसार, जांच में पाया गया कि 50 बच्चों के अभिभावकों ने पुनर्विवाह कर लिया था, 19 बच्चों को नौकरी मिल चुकी थी, 29 बच्चों की शादी हो गई थी, और आठ बच्चों की मृत्यु हो चुकी थी. इसके अलावा, सात अन्य बच्चे भी अपात्र पाए गए. इन सभी को योजना से हटा दिया गया है, जिसके बाद अब योजना से लाभान्वित बच्चों की संख्या घटकर 5,747 हो गई है.
कैसे हुई थी धांधली
महिला कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ बच्चों ने स्वयं अपनी स्थिति में बदलाव की जानकारी दी थी, जबकि बाकी मामले विभागीय जांच में पकड़े गए. निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं और इन मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी.
पात्र बच्चों की आर्थिक सहायता रोकी गई
इस योजना के तहत पात्र बच्चों को हर महीने तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से दी जाती है. हालांकि, जुलाई और अगस्त 2024 की आर्थिक सहायता पात्र बच्चों के खातों में नहीं पहुंची थी. इस पर निदेशक प्रशांत आर्य ने जानकारी दी कि वित्तीय अनुमति मिल चुकी है और अगले सप्ताह तक सभी पात्र बच्चों के खातों में सहायता राशि जमा कर दी जाएगी.
मामले की जांच कराई जाएगी
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रेखा आर्या ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारियों से चयन प्रक्रिया की जांच कराने की बात कही. उन्होंने कहा, मुझे इस प्रकरण की जानकारी नहीं थी, लेकिन जिलाधिकारियों के स्तर पर बच्चों का चयन किया जाता है मामले की जांच कराई जाएगी. मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, जो कोविड के दौरान अनाथ हुए बच्चों के जीवन में सहारा बनने के लिए बनाई गई थी, में हुई इस धांधली से सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल उठे हैं. हालांकि, विभाग ने अनियमितताओं को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर नकारात्मक असर डालती हैं.
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की शुरुआत एक जुलाई 2021 को हुई थी, जिसका उद्देश्य उन बच्चों की सहायता करना था जिन्होंने 1 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 के बीच कोविड-19 या अन्य बीमारियों के कारण अपने माता-पिता या संरक्षक को खो दिया था. योजना के तहत 21 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को तीन हजार रुपये मासिक आर्थिक सहायता दी जाती है. शुरुआत में, इस योजना से 6,544 बच्चों को लाभान्वित किया गया था, लेकिन बाद में 684 बच्चों को 21 वर्ष की आयु पूरी होने पर योजना से बाहर कर दिया गया.
विभागीय जांच में मिली अनियमितताएं
वित्तीय वर्ष 2023-24 में की गई विभागीय जांच के दौरान 113 अपात्र बच्चों का पता चला, जिन्हें योजना का लाभ मिलता रहा. निदेशक प्रशांत आर्य के अनुसार, जांच में पाया गया कि 50 बच्चों के अभिभावकों ने पुनर्विवाह कर लिया था, 19 बच्चों को नौकरी मिल चुकी थी, 29 बच्चों की शादी हो गई थी, और आठ बच्चों की मृत्यु हो चुकी थी. इसके अलावा, सात अन्य बच्चे भी अपात्र पाए गए. इन सभी को योजना से हटा दिया गया है, जिसके बाद अब योजना से लाभान्वित बच्चों की संख्या घटकर 5,747 हो गई है.
कैसे हुई थी धांधली
महिला कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ बच्चों ने स्वयं अपनी स्थिति में बदलाव की जानकारी दी थी, जबकि बाकी मामले विभागीय जांच में पकड़े गए. निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं और इन मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी.
पात्र बच्चों की आर्थिक सहायता रोकी गई
इस योजना के तहत पात्र बच्चों को हर महीने तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से दी जाती है. हालांकि, जुलाई और अगस्त 2024 की आर्थिक सहायता पात्र बच्चों के खातों में नहीं पहुंची थी. इस पर निदेशक प्रशांत आर्य ने जानकारी दी कि वित्तीय अनुमति मिल चुकी है और अगले सप्ताह तक सभी पात्र बच्चों के खातों में सहायता राशि जमा कर दी जाएगी.
मामले की जांच कराई जाएगी
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की मंत्री रेखा आर्या ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारियों से चयन प्रक्रिया की जांच कराने की बात कही. उन्होंने कहा, मुझे इस प्रकरण की जानकारी नहीं थी, लेकिन जिलाधिकारियों के स्तर पर बच्चों का चयन किया जाता है मामले की जांच कराई जाएगी. मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, जो कोविड के दौरान अनाथ हुए बच्चों के जीवन में सहारा बनने के लिए बनाई गई थी, में हुई इस धांधली से सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल उठे हैं. हालांकि, विभाग ने अनियमितताओं को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर नकारात्मक असर डालती हैं.