उत्तराखंड में दुर्लभ खनिजों की खोज को दी जाए प्राथमिकता, मुख्य सचिव ने दिए जरूरी निर्देश
Uttarakhand News: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने निर्देश दिए कि खनन विभाग, आईआईटी रुड़की और उद्योग जगत मिलकर एक व्यापक शोध और विकास कार्य प्रणाली विकसित करें.

Dehradun News: उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में क्रिटिकल मिनरल (दुर्लभ खनिज) की खोज और आत्मनिर्भरता के लिए वर्किंग प्लान तैयार करने के निर्देश दिए हैं. सचिवालय में हुई बैठक में उन्होंने खनन विभाग, आईआईटी रुड़की, मोनाश यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया) और उद्यम प्रतिनिधियों के साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा की. बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य में खनिज संसाधनों के अनुसंधान, निष्कर्षण, प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग के लिए एक संगठित कार्य योजना विकसित करना था.
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि खनन विभाग, आईआईटी रुड़की और उद्योग जगत मिलकर एक व्यापक शोध और विकास (R&D) कार्य प्रणाली विकसित करें, जिससे राज्य को खनिज संपदा में आत्मनिर्भर बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप उत्तराखंड में दुर्लभ खनिजों की खोज को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. मुख्य सचिव ने कहा कि खनिज अन्वेषण, निष्कर्षण और खनन स्थिरता के लिए अग्रणी विशेषज्ञों का सहयोग आवश्यक है, जिसमें आईआईटी रुड़की की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
बैठक में मुख्य सचिव ने दिए अहम निर्देश
उन्होंने सुझाव दिया कि विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और व्यावहारिक अनुसंधान के माध्यम से खनिज प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता विकसित की जाए. बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार को खनिज खोज, निष्कासन और प्रसंस्करण के लिए एक ठोस नीति तैयार करनी होगी. इसके लिए खनन विभाग, आईआईटी रुड़की और उद्यमियों को मिलकर काम करना होगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खनिजों की खोज और उनके उपयोग में सतत विकास के सिद्धांतों का पालन किया जाए.
मुख्य सचिव ने राज्य सरकार, शिक्षा क्षेत्र और उद्योग जगत के बीच सहयोग, साझेदारी और पूरकता के सिद्धांतों पर आधारित एक साझा मंच विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया. बैठक में सचिव श्री बृजेश कुमार संत, आईआईटी रुड़की के डॉ. राकेश कुमार और संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे. विशेषज्ञों ने राज्य में क्रिटिकल मिनरल के मूल्यांकन, अन्वेषण, आपूर्ति श्रृंखला विश्लेषण और निष्कर्षण को लेकर अपने सुझाव साझा किए. यह पहल उत्तराखंड को खनिज संसाधनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और औद्योगिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
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