उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव में 47 सीटों पर अब नहीं होगा चुनाव, जानें- क्यों?
Uttarakhand Municipal Elections 2025: उत्तराखंड में चुनाव चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. प्रत्याशी वोटर्स को अपनी ओर करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे है. इस बार 5 हजार से अधिक प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं.
Uttarakhand Civic Elections 2025: उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां अपने चरम पर हैं. प्रदेशभर में नगर निकायों के लिए कुल 6433 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था. नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब कुल 5399 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. इस चुनावी महासमर में नगर प्रमुख, अध्यक्ष और सभासद, सदस्य पदों के लिए प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
इससे पहले अब तक 47 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं. 27 से 30 दिसंबर 2024 के बीच नामांकन प्रक्रिया के दौरान कुल 6433 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन दाखिल किया. नामांकन पत्रों की जांच के दौरान 205 नामांकन पत्र खारिज किए गए. इसके बाद नाम वापसी की आखिरी तारीख 2 जनवरी 2025 तक 782 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया.
नाम वापसी और नामांकन पत्रों के खारिज होने के बाद अब मैदान में कुल 5 हजार 399 प्रत्याशी रह गए हैं. इनमें से नगर प्रमुख और अध्यक्ष पद के लिए 514 और सभासद, सदस्य पद के लिए 4 हजार 885 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं.
इन पदों पर हुए निर्विरोध जीते
इस चुनाव में कुल 47 सीटों के लिए प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए हैं. इनमें 1 अध्यक्ष नगर पालिका परिषद, 2 अध्यक्ष नगर पंचायत, 14 सभासद नगर निगम, 20 सदस्य नगर पालिका परिषद और 10 सदस्य नगर पंचायत शामिल हैं. चुनाव प्रक्रिया के तहत निर्दलीय प्रत्याशियों को आज शुक्रवार (3 जनवरी 2025) को उनके चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे. यह कदम चुनाव प्रचार में समानता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
किस पद के लिए कितने प्रत्याशी?
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के 11 नगर निगमों में नगर प्रमुख/ अध्यक्ष पद के लिए 72 प्रत्याशी मैदान में हैं. इसी तरह सभासद पदों के लिए 2009 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. 43 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्ष पद के लिए 211 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जबकि 1596 प्रत्याशी सदस्य पद के लिए चुनावी रण में हैं. 46 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए 231 और सदस्य पदों के लिए 1280 प्रत्याशी चुनावी दौड़ में हैं.
निर्विरोध चुने गए प्रत्याशियों में प्रमुख रूप से नगर निगम के 14 सभासद, नगर पालिका परिषद के 20 सदस्य, और नगर पंचायत के 10 सदस्य शामिल हैं. इसके अलावा, एक अध्यक्ष नगर पालिका परिषद और दो अध्यक्ष नगर पंचायत भी निर्विरोध चुने गए हैं.
अब जबकि मैदान में 5399 प्रत्याशी हैं, सभी ने अपने-अपने क्षेत्रों में जोर-शोर से प्रचार अभियान शुरू कर दिया है. प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशी जहां अपने दल की नीतियों और विकास योजनाओं को लेकर मतदाताओं के बीच जा रहे हैं, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी अपने व्यक्तिगत प्रभाव और स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं.
वोटर्स को रिझानें में जुटे प्रत्याशी
नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख दलों के रूप में चुनावी मैदान में हैं. भाजपा ने अपनी उपलब्धियों और सरकार की विकास योजनाओं को केंद्र में रखा है, जबकि कांग्रेस बेरोजगारी, महंगाई, और स्थानीय मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रही है. आम आदमी पार्टी ने स्वच्छ और पारदर्शी प्रशासन का वादा करते हुए मतदाताओं को लुभाने की रणनीति अपनाई है.
चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी भी बड़ी संख्या में हैं. ये प्रत्याशी मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों और व्यक्तिगत लोकप्रियता के बल पर चुनावी मैदान में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. गर निकाय चुनाव 2025 के लिए मतदान 10 जनवरी को होगा. सभी जिलों में मतदान केंद्रों पर निष्पक्ष और पारदर्शी मतदान सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. चुनाव परिणाम 12 जनवरी को घोषित किए जाएंगे.
EC निष्पक्ष, पारदर्शी मतदान को तैयार
उत्तराखंड के नगर निकाय चुनाव राज्य के विकास और स्थानीय प्रशासन में सुधार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं. इन चुनावों में चुने गए प्रत्याशी अगले पांच वर्षों तक स्थानीय स्तर पर विकास योजनाओं और जनसुविधाओं को क्रियान्वित करेंगे. चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं. हालांकि, चुनाव में फर्जी मतदान, धनबल और बाहुबल के इस्तेमाल की आशंका हमेशा बनी रहती है. मतदाताओं और प्रत्याशियों को इन मुद्दों से बचने के लिए जागरूक रहने की जरूरत है.
उत्तराखंड के नगर निकाय चुनाव 2025 न केवल स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने का माध्यम हैं, बल्कि यह प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित करेंगे. 5399 प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा और 10 जनवरी को होने वाले मतदान के बाद यह तय होगा कि जनता ने अपने प्रतिनिधि के रूप में किसे चुना है.
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