Uttarakhand News: उत्तराखंड में आगामी नगर निकाय चुनावों की तैयारियों के तहत शहरी विकास विभाग ने 11 नगर निगमों के नगर प्रमुख पदों पर आरक्षण की सूची जारी की है. यह सूची उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 और अन्य संबंधित नियमों के तहत प्रस्तावित की गई है. इस अधिसूचना का उद्देश्य विभिन्न वर्गों को नगर निगमों में प्रतिनिधित्व देना है.


शासन ने यह सूची सामाजिक संतुलन और राजनीतिक भागीदारी को ध्यान में रखते हुए तैयार की है. प्रस्तावित आरक्षण में अनुसूचित जाति (एससी), अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी), महिला और अनारक्षित श्रेणियां शामिल हैं.


शहरी विकास विभाग द्वारा जारी सूची के अनुसार 11 नगर निगमों के नगर प्रमुख पदों का आरक्षण निम्न प्रकार है:


1. देहरादून: अनारक्षित
2. ऋषिकेश: अनुसूचित जाति
3. हरिद्वार: अन्य पिछड़ी जाति (महिला)
4. रुड़की: महिला
5. कोटद्वार: अनारक्षित
6. श्रीनगर: अनारक्षित
7. रुद्रपुर: अनारक्षित
8. काशीपुर: अनारक्षित
9. हल्द्वानी: अन्य पिछड़ी जाति
10. पिथौरागढ़: महिला
11. अल्मोड़ा: महिला


इस अधिसूचना के जारी होने के बाद, शहरी विकास विभाग ने सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं. आम नागरिक, राजनीतिक दल और अन्य संबंधित पक्ष इस प्रस्ताव पर अपनी राय दे सकते हैं.




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वहीं शासन ने स्पष्ट किया है कि सभी सुझावों और आपत्तियों पर विचार किया जाएगा, जिसके बाद अंतिम सूची तैयार की जाएगी. आरक्षण सूची जारी होते ही राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों में चर्चा तेज हो गई है. कई दल इसे समावेशी और लोकतांत्रिक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे क्षेत्रीय असंतुलन का कारण बता रहे हैं.


देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे प्रमुख नगर निगमों के आरक्षण को लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि इन शहरों के चुनाव परिणाम राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं. खासकर हरिद्वार और हल्द्वानी में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण के कारण संभावित उम्मीदवारों के समीकरण बदल सकते हैं. शहरी विकास विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि आरक्षण सूची समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से तैयार की गई है. अपर सचिव गौरव कुमार ने कहा, "यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत करने और विभिन्न वर्गों को भागीदारी का अवसर देने की दिशा में उठाया गया कदम है."


संशोधन का है अभी इंतजार


उत्तराखंड में नगर निगमों के प्रमुख पदों पर आरक्षण सूची जारी होने के बाद, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इसमें कोई संशोधन किया जाएगा और यह सूची आगामी नगर निकाय चुनावों को कैसे प्रभावित करेगी. यह अधिसूचना उत्तराखंड में शहरी विकास और समावेशी प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है.