उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में सृजित, संविदा और आउटसोर्स के तकरीबन 50 हजार से ज्यादा पद खाली हैं. 14 ऐसे प्रमुख विभाग हैं जिनमें तकरीबन 30 हजार के करीब पद खाली पड़े हैं. बीजेपी सरकार ने पिछले साढ़े 4 सालों में इन पदों को किसी माध्यम से भरने की जहमत नहीं उठाई, लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद संभालते ही 22 हजार पदों पर भर्ती का एलान कर दिया, लेकिन ये कैसे सम्भव होगा ये सवाल है.
उत्तराखंड में 2020-21 में साढ़े 8 लाख से ज्यादा बेरोजगार पंजीकृत हैं. इस दौरान उत्तराखंड में सिर्फ 1,398 लोगों को रोजगार मिला. सवाल उठता है कि जब साढ़े 4 साल में मात्र 1398 पदों पर ही नियुक्तियां की गई हैं तो 6 महीने में 22 हजार पदों पर नियुक्तियां कैसे की जाएंगी. इससे भी गंभीर बात यह है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कड़ी मशक्कत के बाद एक साल में केवल 6 से 7 हजार पदों पर ही भर्ती करा पता है. क्योंकि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है, जिस वजह से बड़े स्तर पर अधीनस्थ चयन सेवा आयोग भर्ती नहीं करा सकता है. खुद अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के सचिव संतोष बडोनी भी मानते हैं कि आयोग वर्ष में 6 से 7 हजार पदों पर भर्ती करा सकता है.
राज्य में बेरोजगार पंजीकृत
वर्ष | पंजीकरण | नियुक्तियां | प्रतिशत |
2016-17 | 9,26,308 | 2,773 | 0.29% |
2017-18 | 8,91,141 | 7,489 | 0.84% |
2018-19 | 8,29,139 | 5,678 | 0.68% |
2019-20 | 7,78,077 | 2,709 | 0.34% |
2020-21 | 8,07,722 | 1,398 | 0.17% |
हालांकि सरकार में कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने कहा है कि इसके लिए सरकार कुछ और व्यवस्था कर सकती है. उन्होंने कहा कि भर्ती के लिए नई एजेंसी भी हायर की जा सकती हैं, लेकिन चुनावों से पहले इन पदों पर भर्ती जरूर की जाएंगी.
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