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Uttarakhand News: उत्तराखंड में खाली हो रहे पहाड़, पलायन रोकने में नाकाम धामी सरकार! विपक्ष ने उठाए आयोग पर सवाल
Uttarakhand News: उत्तराखंड की धामी सरकार ने पलायन को रोकने के लिए पलायन आयोग बनाया था, लेकिन अब विपक्ष इस आयोग के कामकाज पर ही सवाल उठा रहा है.
Uttarakhand News: उत्तराखंड में पलायन एक बहुत बड़ा मुद्दा है उत्तराखंड के पहाड़ लगातार होते पलायन से खाली होते जा रहे हैं उत्तराखंड में पलायन रोकने के लिए और इस समस्या को समझने के लिए पलायन आयोग बनाया गया था लेकिन इस पलायन आयोग का खुद ही पलायन हो गया. इसके द्वारा आज तक क्या काम किया गया यह सामने नहीं आ पाया है. उत्तराखंड के पहाड़ धीरे-धीरे खाली होते जा रहे हैं. उत्तराखंड के ऐसे गांव है जो पूरी तरह से खाली हो चुके हैं.
आज उत्तराखंड में मूल निवास और भू कानून को लेकर मांग हो रही है लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ खाली होते जा रहे हैं ऐसे में उत्तराखंड के पहाड़ों में खाली पड़े मकान की तस्वीर सामने आने के बाद यह एहसास होता है कि लोग कैसे उत्तराखंड के पहाड़ों को छोड़कर दिल्ली व अन्य शहरों में जाकर बस रहे हैं यहां तक की उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में पहाड़ के लोग आकर अपने मकान बना रहे हैं.
पलायन आयोग के कामकाज पर उठे सवाल
उत्तराखंड में रिवर्स पलायन को लेकर अभी भी स्थिति कुछ खास ठीक नहीं है. अगर बात करें पर्वतीय क्षेत्रों की तो वहां पर रिवर्स पलायन अभी पूर्ण रूप से नहीं हो पाया है सरकार एक तरफ जहां रिवर्स प्लान को लेकर प्रयास कर रही है लेकिन वह प्रयास अभी भी कहीं ना कहीं नाकाम साबित होते दिखाई पड़ रहे हैं.
पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद पलायन के कारणों और इसकी रोकथाम के लिए सुझाव देने के लिए ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत पलायन आयोग का गठन किया गया. आयोग ने इस संबंध में प्रदेश के सभी गांवों का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसमें मुख्य रूप से पलायन के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार प्रमुख कारण बनकर सामने आया सरकार पलायन रोकने के लिए अपने स्तर पर कई योजनाएं शुरू कीं, लेकिन स्थितियां आज भी नहीं बदली हैं राज्य में पलायन का दौर अब भी जारी है.
रोजगार की वजह से हो रहा है पलायन
उत्तराखंड में पलायन के लिए सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है. उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लगातार प्रयास तो किया जा रहे हैं, कि उत्तराखंड में रोजगार के नए-नए तरीके इजाद किए जाएं इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर सबमिट कराई थी जिसके चलते 3 लाख करोड़ का इन्वेस्ट होने की संभावना उत्तराखंड में जताई गई. अभी उद्योग कब तक स्थापित होंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
कांग्रेस ने उठाए आयोग पर सवाल
कांग्रेस के संगठन उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने भाजपा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि 7 साल में कितना रिवर्स पलायन हुआ और पलायन आयोग ने क्या काम किया. जितना पलायन भाजपा के शासनकाल में हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा ने कहा कि पलायन आयोग एक सफेद हाथी बनकर रह गया है. पिछले 1 साल से पलायन आयोग ने कोई मीटिंग नहीं की है. हां एक बात जरूर है कि समय-समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करता रहता है.
बीजेपी ने दिया आरोपों पर जवाब
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पलायन आयोग के आरोपों को गलत बताया और कहा कि वो अपना काम कर रहा है. आयोग का काम है कि सरकार को बताएं कि किस दिशा में काम करना है. ये सच है कि पलायन हुआ है, लेकिन पिछले कुछ सालों में कमी आई है. दूसरा सरकार लगातार रोजगार के नए-नए तरीके खोजने के लिए काम कर रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है उत्तराखंड में ग्लोबल इन्वेस्टर सबमिट का होना.
उत्तराखंड में पलायन रोकने के लिए सरकार ने पलायन आयोग बनाया था. पलायन आयोग लगातार उत्तराखंड में सक्रिय है लेकिन पिछले 1 साल में उनके द्वारा किसी प्रकार की कोई मीटिंग ना होने से विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. वहीं रिवर्स प्लान पर अभी तक सरकार के पास ठोस रूपरेखा मौजूद नहीं है.
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