Uttarakhand Cabinet Expansion: उत्तराखंड कैबिनेट का जल्द ही विस्तार होने वाला है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने हल्द्वानी दौरे के दौरान रविवार (1 अक्टूबर) को कहा है कि प्रदेश सरकार जल्द ही अपनी कैबिनेट का विस्तार करेगी, लेकिन कैबिनेट में उन विधायकों को जगह मिलेगी जो सर्वश्रेष्ठ हैं.


मुख्यमंत्री ने कहा कि किस तरह से कैबिनेट का विस्तार किया जाए, इसके लिए हम अभी से प्लान बना रहे हैं. पुष्कर सिंह धामी दो दिन पहले ही ब्रिटेन से लौटे हैं. वहां उन्होंने कई कंपनियों के साथ 12 हजार करोड़ रुपये के करार किए हैं. ये कंपनियां उत्तराखंड में निवेश करेंगी. 


लंबे समय से कैबिनेट के चार पद खाली


उत्तराखंड में काफी लंबे समय से कैबिनेट के चार पद खाली चल रहे हैं. चार कैबिनेट मंत्री अभी भी उत्तराखंड सरकार में मौजूद नहीं है. इसके लिए काफी लंबे समय से सरकार और संगठन के बीच इसको लेकर बात चल रही है. कई बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस बात को कह चुके हैं कि सही समय पर कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा.


इसी तरह काफी लंबे समय से दायित्व धारियों भी इंतजार कराया जा रहा था, लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही 10 दायित्व धारियों को दायित्व बांटे गए हैं. दायित्व बढ़ाने के बाद से ही प्रयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही उत्तराखंड में कैबिनेट का विस्तार किया जा सकता है. 


कई कैबिनेट मंत्रियों का कट सकता है पत्ता


कई कैबिनेट मंत्रियों का पत्ता भी कट सकता है. सूत्रों की मानें तो दो से तीन कैबिनेट मंत्री हटाए जा सकते हैं. वहीं कई नए विधायकों को जगह दी जा सकती है, लेकिन यह कैबिनेट विस्तार कब होगा, अभी इसको लेकर पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हम इस पर अभी प्लानिंग कर रहे हैं.


फिलहाल मंत्री पद की आस में कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक के कई विधायक हैं. इनमें से कई विधायकों के नाम कहे बगाहे सामने आते रहते हैं. कुमाऊं से रानीखेत विधायक (प्रमोद नैनवाल) का नाम सबसे आगे बताया जाता है. वहीं गढ़वाल से (मुन्ना सिंह चौहान) को सबसे आगे बताया जा रहा है, लेकिन भविष्य में क्या होगा ये शायद सीएम धामी ही जानते हैं. 


मंत्री बनने की रेस में कई नाम


मंत्री बनने की रेस में सुरेश गाडियां, पार्वती दास, दीवान सिंह बिष्ट, राम सिंह केड़ा और भी कई नाम हैं. फिलहाल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार कुछ दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए अभी इंतजार करना होगा और विधायकों को खुद को साबित भी करना होगा कि वो पार्टी और सरकार के लिए कितने समर्पित हैं. 


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