देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन और शिलान्यास को 'स्वर्णिम अवसर' बताते हुए कहा कि हजारों लोगों का कड़ा संघर्ष और बलिदान आज स्वरूप ले रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से राम मंदिर के भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखने के बाद रावत ने कहा कि कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज यह स्वर्णिम अवसर आया है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए हजारों लोगों ने बलिदान दिया और आज उन हजारों लोगों का संघर्ष स्वरूप ले रहा है.


मुख्यमंत्री रावत ने अपने संस्मरण ताजा करते हुए कहा कि 1989 में जब श्रीराम मन्दिर के लिए आन्दोलन चल रहा था, तब लोगों से सवा रूपये एकत्रित किए जाते थे कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण में एक पत्थर आपके नाम का भी लग जाएगा. उन्होंने कहा कि उस समय लोग उत्तरकाशी के दूर-दराज के गांव लिवाड़ी-खिताड़ी तक 18 किमी पैदल चलकर श्रीराम मंदिर के लिए शिला लाए थे.


रावत ने कहा कि 1989 में राम मंदिर आंदोलन के समय वो मेरठ में थे और उन्होंने भेष बदलकर इस आन्दोलन में भाग लिया था. उन्होंने बताया कि उनके साथ हजारों अन्य लोगों ने भी आंदोलन में हिस्सा लिया था. वरिष्ठ पत्रकार और प्रचारक मोरोपंत पिंगले, अशोक सिंघल, महन्त अवैद्यनाथ और कोठारी बंधुओं को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन लोगों ने इस आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन से उनकी आत्माओं को शांति मिलेगी.



रावत ने कहा कि उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत हुई है. वो खुद भी जल्द ही अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे और अयोध्या में बनने वाले श्रीराम मन्दिर के स्वरूप को भी देखकर आएंगे.


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