Uttarakhand Congress News: उत्तराखंड कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के मंथन के साथ प्रदेश अध्यक्ष को लेकर माथापच्ची का दौर अभी भी जारी है. केंद्रीय हाईकमान भी प्रदेश के नेताओं की गुटबाजी के चलते ठोस निर्णय नहीं ले पा रहा है. हालांकि कांग्रेस के इस सियासी खेल में ताज किस खिलाड़ी में सिर सजेगा ये कांग्रेस हाईकमान से बेहतर बेहतर कोई नहीं जानता. लेकिन राजनीतिक जानकार ये मान रहे हैं कि कांग्रेस में चुनावों से पहले ये बदलाव काफी मायने रखता है. लेकिन इसके लिए सभी को संगठित होना जरूरी हैं.
कांग्रेस में खींचतान जारी
कांग्रेस की दिग्गत नेता इन्द्रिरा ह्रदेश के निधन के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में सारे समीकरण बदल गए. तीन गुटों में बटी कांग्रेस अब हरीश रावत और प्रीतम सिंह के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. उत्तराखंड कांग्रेस में हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच सियासी जंग है. नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष के एलान में दोनों नेताओं की आपसी उठापटक के बीच केंद्रीय हाईकमान भी इस पर निर्णय लेने में देरी कर रहा है.
प्रीतम सिंह का नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए आने के बाद वो अपने करीबी को ही अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाना चाहते हैं. तो वहीं हरीश रावत का नाम लगभग चुनाव संचालन समिति के लिए तय माना जा रहा है. ऐसे में हरीश रावत भी अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने करीबी की ताजपोशी चाहते हैं. प्रीतम सिंह ने यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भुवन कापड़ी और कुछ नेताओं के नाम आगे कर दिए हैं. तो वहीं हरीश रावत ने गणेश गोदियाल, किशोर उपाध्याय, गोविंद सिंह कुंजवाल समेत कुछ नाम हाईकमान के पास अध्यक्ष पद के लिए भजे दिए हैं. अब दिल्ली में डटे सभी कांग्रेस नेताओं को हाईकमान के आदेश का इंतजार हैं.
भाजपा के घटनाक्रम पर कांग्रेस की नजर
वहीं भाजपा के अंदर चल रही सियासी उठापटक पर भी कांग्रेस नेता दिल्ली में बैठकर नजर बनाए हैं. माना यह भी जा रहा है कि भाजपा में बड़े स्तर पर बदलाव होता है तो कांग्रेस भी उसी के आधार पर अपनी रणनीति बनाएगी. यह बात भी सही है कि चुनावों से पहले कांग्रेस हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहती है क्योंकि इस वक्त बीजेपी 57 विधायकों के साथ सत्ता में है. ऐसे में भाजपा का किला ढाने के लिए कांगेस को सारे समीकरण साधने होंगे. कांग्रेस को जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधकर बड़े निर्णय लेने होंगे.
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