Kanwar Yatra Nameplate Controversy: उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है. साथ ही शुरू हो चुकी है राजनीति. कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान लगाने वाले लोगों को अपना नाम लिखने के सरकार के आदेश पर अब राजनीति ने जोर पकड़ लिया है, जहां एक तरफ बीजेपी के नेता और सरकार के नुमाइंदे इस आदेश की पैरवी कर रहे हैं, वही कांग्रेस के नेता इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. इसको लेकर एबीपी लाइव ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात की तो उन्होंने भी इस आदेश का पुरजोर विरोध किया. 


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि इस तरह के आदेशों से लोगों को बांटने का काम किया जा रहा है. ये समाज के लिए बेहद घातक है, जिसके दूरगामी गंभीर परिणाम होंगे. सरकार को इससे बचना चाहिए. हरीश रावत यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी अपने निजी मामलों और झगड़ो को छुपाने के लिए इस तरह के कार्य सरकार के द्वारा कर रही है, ताकि जनता के ध्यान को भटकाया जा सके.


प्लान के तहत फैलाया जा रहा प्रोपेगेंडा?


हरीश रावत ने आगे कहा कि सरकार के इस कृत्य से जातिवाद और धर्मवाद को बढ़ा रही है, जो कि हमारे समाज के लिए हानिकारक है. इससे आपसी सौहार्द में कमी आएगी, जो अच्छा नहीं है. इस सब से सरकारों को बचना चाहिए. साथ ही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने कहा की दोनों प्रदेश (उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) के मुख्यमंत्रियों में खलबली है, इसलिए इस तरह का प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है ताकि सब का ध्यान कहीं और लगा दिया जाए. 


यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी लागू हुआ नियम 


बता दें कि उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ठेला रेडी वालों से अपने ओरिजनल नाम अपने संस्थानों पर लगाने को कहा गया है. इसके बाद से दोनों प्रदेशों में राजनीति गरमाई हुई है. सबसे पहले यूपी में कांवड़ यात्रा के लिए नए नियम लागू किए गए फिर यूपी की तर्ज पर धामी सरकार ने भी इस नियम को अपने प्रदेश में लागू कर दिया, जिसके बाद से ही विवाद शुरू हुआ है


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