Uttrakhand Politics: उत्तराखंड में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की तलाश, इन नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा
Uttrakhand Congress: उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी को नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामों का चुनाव करना है. इस काम में पार्टी को काफी देरी लग रही है.
Uttarakhand Political News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में आगामी 29 मार्च से विधानसभा का सत्र शुरू होना है लेकिन अभी कांग्रेस (Congress) अपना नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पाई है. इसके लिए अब बहुत कम समय बचा हुआ है, ऐसे में क्या प्रीतम सिंह के अनुभव को देखते हुए उनको ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा या फिर किसी अन्य नाम पर कांग्रेस हाईकमान मुहर लगाएगा, इसपर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.
अभी कांग्रेस के पास न ही नेता प्रतिपक्ष है और न ही प्रदेश अध्यक्ष. विधानसभा सत्र की तारीख तय होने के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. राजनीतिक समीकरणों के आधार पर देखें तो इन दो पदों में से एक गढ़वाल और एक कुमाऊं से भरा जाना तय है.
नेता प्रतिपक्ष और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में ये नाम हैं आगे
पार्टी में ये तीन नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए सबसे आगे हैं. इसमें प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य और हरीश धामी का नाम चर्चा में हैं. उधर अभी कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है. अटकलें हैं कि गणेश गोदियाल को बहुत कम समय मिला ऐसे में उनको दोबारा रिपीट किया जा सकता है. इसके साथ ही खटीमा से जीतकर आये भुवन कापड़ी, अल्मोड़ी से विधायक मनोज तिवारी, पूर्व मंत्री रहे 'मंत्री प्रसाद नैथाणी' के नाम भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में माने जा रहे हैं.
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संगठन महामंत्री ने कही ये बात
कांग्रेस के महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि बहुत जल्द नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पदों पर फैसला होना है, जिस पर अंतिम मुहर हाई कमान को लगानी है. इससे पहले विधायक दल की बैठक होनी है. नेता प्रतिपक्ष की रेस में माने जा रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व को तय करनी है. यशपाल आर्य ने कहा कि इस पर अब फैसला जल्द हो जाना चाहिए. हालांकि यशपाल आर्य ने ये भी कहा कि वो किसी पद की रेस में नहीं हैं वो चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूती के साथ विपक्ष की भूमिका निभाए.
कांग्रेस में न तो अभी तक विधायकों की बैठक हो पाई है और न ही अभी कोई समय भी बैठक के लिए तय किया गया है. ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि 29 मार्च से होने जा रहे विधानसभा सत्र से पहले अगर नेता प्रतिपक्ष के नाम पर फाइनल मुहर नहीं लगी तो किसी अनुभवी विधायक को सदन नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है. हालांकि ये भी कहना गलत नहीं होगी कि बहुत कम संख्या में जीतकर आई कांग्रेस के भीतर अभी भी पदों की जिम्मेदारी को लेकर पशोपेश की स्थिति दिखाई दे रही है.
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