Uttarakhand Politics Latest News: उत्तराखंड में निकाय और लगातार विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि सरकार निकाय चुनाव कराने से बच रही है. इसके लिए लगातार नए-नए रास्ते खोजे जा रहे हैं. निकाय चुनाव 7 महीने पूर्व होने थे, लेकिन ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट पूरी न होने के चलते इन चुनाव को टाल दिया गया और निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई, जबकि नियम भी यही कहता है कि मात्र 6 महीने तक ही निकायों में पर्यवेक्षक बनाए जा सकते हैं.
उत्तराखंड में अब 6 माह बीत जाने के बाद भी निकायों में अभी तक पर्यवेक्षक तैनात है, जबकि विपक्षी पार्टियां लगातार निकाय चुनाव के लिए राज्य सरकार से मांग कर रही हैं. बता दे कि 7 माह पूर्व ही प्रदेश में निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. ऐसे में चुनाव अपने समय से लगभग 7 माह लेट हो चुके हैं, जबकि इस बीच प्रदेश की खाली हुई दो विधानसभाओं में उपचुनाव भी समाप्त हो चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक निकाय चुनाव को लेकर कोई भी बात नहीं की जा रही है. उधर तमाम पार्टियां लगातार निकाय चुनाव को लेकर सरकार पर दबाव बना रही है.
निकाय चुनाव को लेकर असमंजस बरकरार
प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर असमंजस बना हुआ है. अब एक उम्मीद दिखाई दे रही है कि निकाय चुनाव सितंबर या अक्टूबर में हो सकते हैं. बता दें कि प्रदेश में निकायों का पिछले साल नवंबर में खत्म हो गया था. निकायों में प्रशासक नियुक्त है. इसको लेकर नैनीताल हाई कर एक जान हिट याचिका भी चल रही है, जिसकी सुनवाई की जा रही है. राज्य सरकार अभी ओबीसी का आरक्षण नहीं कर पाई है. ओबीसी का आरक्षण के होने के बाद इस का नोटिफिकेशन जारी होगा. उसके बाद कही चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होगी.
उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव इस साल सितंबर या अक्टूबर में हो सकते हैं क्योंकि इस साल प्रदेश में पंचायत चुनाव भी होने है. जबकि प्रदेश में केदारनाथ विधानसभा के लिए भी एक उपचुनाव होना है. तो ये कहना ठीक ही रहेगा कि उत्तराखंड में साल 2024 चुनावी साल साबित हुआ. प्रदेश में लगातार चुनाव जारी है. लेकिन निकाय चुनाव पिछले कई महीनों से रुका हुआ है, जिसके चलते राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार राज्य सरकार पर आरोप लगा रही है कि वो चुनाव से बचना चाहती है.
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