Uttarakhand News: उत्तराखंड में सहकारिता विभाग (Uttarakhand cooperative department) किसानों के लिए एक बड़ी योजना लॉन्च करने जा रहा है. हालांकि इस योजना के जरिए राज्य में पहले से भी किसानों को लाभ दिया जा रहा है लेकिन अब केंद्रीय सहकारिता विभाग (Central Cooperative Department) के निर्देश पर यह योजना उत्तराखंड में बड़े स्तर पर लॉन्च होगी. इसके लिए सहकारिता विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. मामला किसानों की पारदर्शी ऋण सुविधा से जुड़ा है जिसके लिए सहकारिता क्षेत्र में ऋण की सबसे छोटी इकाई पैक्स ऑनलाइन कर लॉन्च किया जाएगा.
100 समितियों को किया जा चुका है ऑनलाइन
उत्तराखंड में कृषि सेक्टर में छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत करने के लिए पैक्स एक बड़ी योजना है. पैक्स यानी "प्राथमिक कृषि समितियां" जो देशभर में किसानों को ऋण देने के लिए सबसे छोटी इकाई हैं और किसानों को इसके माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है. पारदर्शिता के लिए इन समितियों को ऑनलाइन किया जा रहा है. तकरीबन 100 समितियां ऐसी हैं जिन को अब तक ऑनलाइन किया जा चुका है. इसके लिए उत्तराखंड देश के सबसे अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है. 2019 से ही प्रदेश के सभी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को कंप्यूटरीकृत करने पर काम चल रहा है. सहकारिता सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम कहते हैं कि प्रदेश में कुल 675 पैक्स हैं, जहां कंप्यूटराइजेशन का काम किया जा रहा है.
सहकारिता सचिव ने क्या बताया
सहकारिता सचिव ने बताया, देश भर में कुल 63,000 समितियां हैं जिन्हें कंप्यूटरीकृत करने और ढांचागत विकास के लिए 2,516 करोड़ की लागत आएगी. इसके लिए केंद्र की तरफ से मंजूरी दी जा चुकी है. इन समितियों के माध्यम से करीब 13 करोड़ छोटे और सीमांत किसान लाभान्वित होते हैं. सहकारिता विभाग इन समितियों को केवल कृषि सेक्टर तक ही सीमित ना रखते हुए बाकी क्षेत्रों में भी आगे बढ़ा रहा है. इसके लिए राज्य के 103 पैक्स चिन्हित किए गए हैं. इसी के तहत उत्तरकाशी में भी मल्टीपर्पज शॉपिंग कंपलेक्स बनाने को मंजूरी मिली है जिसमें गेस्ट हाउस से लेकर शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाया जाएगा ताकि इन समितियों को मजबूत करते हुए किसानों की आय को बढ़ाया जा सके.
जानिए क्या है पैक्स?
-पैक्स यानि प्राथमिक कृषि ऋण समितियां जिनके किसान सदस्य होते हैं.
-सहकारिता में यह सबसे छोटी ऋण इकाई है, जो ग्राम स्तर पर होती है.
-साहूकारों के चंगुल से किसानों को बचाए रखने के लिए गठित किये गए थे पैक्स.
-समितियों के माध्यम से किसानों को सस्ता ब्याज मिलता है.
-खाद, बीज और दवाइयों तक की समितियों के माध्यम से उपलब्धता होती है.
-फसल लोन भी समितियों के माध्यम से मिलना आसान होता है.
-समय से कर्ज चुकाने पर ब्याज में भी छूट मिलती है.
-कृषि संयंत्र खरीदने के लिए भी 20 लाख तक राशि मिलती है.
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