Uttarakhand News: उत्तराखंड में जिला सहकारी बैंकों (District Co-operative Bank) में हुई चौथी श्रेणी भर्ती (Fourth Grade Recruitment) घोटाले की जांच 5 महीने से पूरी नहीं हो पाई है. जिसके बाद ये मामला विभागीय मंत्री धन सिंह रावत (Dhan Singh Rawat) के गले की फांस बनता जा है. अप्रैल महीने में कोऑपरेटिव बैंकों में भर्ती प्रक्रिया रोककर इसकी जांच के लिए विभागीय 3 सदस्य कमेटी का गठन किया गया था. कहा जा रहा था कि जिला कोऑपरेटिव बैंकों में सफेदपोश और अधिकारियों ने भाई भतीजावाद के जरिए भर्ती की. पहले दौर में देहरादून (Deharadun), पिथौरागढ़ (Pithoragarh) और नैनीताल (Nainital) में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की जांच की जा रही थी. जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है.


जानिए क्या है मामला


दरअसल डीसीबी में दिसंबर 2020 से चतुर्थ श्रेणी के 423 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन शुरू में ही ये भर्ती प्रक्रिया घोटाले की भेंट चढ़ गई. अधिकारियों और सफेदपोश ने अपने करीबियों को चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती करा दिया. कई मामले ऐसे सामने आए कि रसूखदार नेता और बड़े अधिकारियों ने इसमें बड़े स्तर पर भाई भतीजावाद अपनाया. जिसकी शिकायत के बाद मामले पर 3 सदस्य कमेटी का गठन किया गया. शुरुआती दौर में देहरादून पिथौरागढ़ और नैनीताल डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंकों की जांच शुरू हुई. लेकिन 5 महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी आज तक इसकी जांच पूरी नहीं हो पाई. 


कांग्रेस ने उठाए जांच पर सवाल


इस मामले को लेकर अब विपक्षी दल कांग्रेस भी हमलावर हो गई है. कांग्रेस ने विभागीय मंत्री धन सिंह रावत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब मामले में मंत्री की संलिप्तता है तो जांच पूरी कैसे की जा सकती है. पिछले 5 महीनों से लीपापोती ही की जा रही है. 


5 महीने बाद भी पूरी नहीं हो पाई जांच
सहकारिता बैंक घोटाले में सवाल उठना इसलिए भी वाजिब है क्योंकि हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भर्ती को लेकर गंभीर आरोप लगे थे. इस मामले में18 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि सहकारिता बैंक में विभाग के ही 3 अधिकारी 5 महीने से जांच कर रहे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस मामले पर सहकारिता सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम का कहना है कि एक जिले की जांच पूरी हो गई है और जल्द ही 2 जिलों की जांच पूरी कर शासन को सौंप दी जाएगी. 



इस मामले पर जब मंत्री धनसिंह रावत से सवाल किया गया तो उन्होंने ये कहकर मामले को टाल दिया कि मीडिया विभाग को लेकर गलत अफवाह फैलाता है.  जबकि सहकारिता विभाग में कोई घोटाला नहीं हुआ और जो भी मामला सामने आया है उस पर जांच चल रही है. 


जिन पर लगा आरोप वहीं कर रहे हैं जांच
दिलचस्प बात ये है कि जिला कोऑपरेटिव बैंकों में भर्ती घोटाले की जांच विभाग के ही अधिकारी कर रहे हैं जबकि इसमें विभाग के ही बड़े अधिकारियों की संलिप्तता की बात सामने आई है. विपक्ष का आरोप है कि जब ये घोटाला सामने आया था तो सचिव ने 15 दिन में जांच रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए थे. मगर 5 महीने के बाद भी जांच पूरी न होना सवालों के घेरे में है. 


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