Badrinath Dham: ब्रह्मकपाल में विदेशों से भी पितरों का पिंडदान और तर्पण करने पहुंच रहे लोग, जानिए- क्या है मान्यता और महत्व
मान्यता है कि यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति होती है. बदरीनाथ क्षेत्र को मोक्ष धाम भी कहते हैं. यहां विदेशों से भी तीर्थयात्री पिंडदान और तर्पण के लिए पहुंच रहे हैं.
उत्तराखंड (Uttarakhand) में बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) में स्थित ब्रह्मकपाल में भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु अपने पितरों का तर्पण करने पहुंच रहे हैं. इन दिनों तीर्थयात्री भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने के बाद ब्रह्मकपाल में अपने पितरों का तर्पण कर रहे हैं. बदरीनाथ मंदिर से करीब 200 मीटर की दूरी पर अलकनंदा के पवित्र तट पर ब्रह्मकपाल तीर्थ स्थित है. यहां देश के विभिन्न राज्यों से आकर तीर्थयात्री अपने पितरों का पिंडदान और तर्पण, हवन करते हैं.
इटली के 6 श्रद्धालुओं ने पिंडदान किया
ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि बदरीनाथ क्षेत्र को मोक्ष धाम भी कहते हैं. यहां अपने पितरों के उद्धार के लिए देश के अलावा विदेशों से भी तीर्थयात्री पिंडदान और तर्पण के लिए पहुंच रहे हैं. गुरुवार को इटली के 6 श्रद्धालुओं की ओर से बदरीनाथ ब्रह्मकपाल में तर्पण और पिंडदान किया गया. कई विदेशी श्रद्धालु कोरोना काल में मारे गए अपने पितरों के तर्पण के लिए यहां पहुंच रहे हैं.
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पिंडदान का विशेष महत्व-तीर्थ पुरोहित
ब्रह्मकपाल के तीर्थ पुरोहित मदन कोठियाल ने बताया कि, ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने का विशेष महत्व है. गुरुवार को इटली के तीर्थयात्रियों ने हिंदू परंपराओं के अनुसार ब्रह्मकपाल में अपने पितरों का तर्पण किया. बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित बृजेश सती का कहना है कि, अब देश के ही नहीं बल्कि विदेश के श्रद्धालु भी हमारी सनातन संस्कृति को अपना रहे हैं. ब्रह्मकपाल में नेपाल के तीर्थयात्री भी अधिक संख्या में पिंडदान और तर्पण के लिए पहुंचते हैं.