उत्तराखंड में तबाही के बाद राहत-बचाव का काम जारी, सेना ने चार कॉलम और दो मेडिकल टीमें तैनात कीं
अधिकारियों ने कहा कि तपोवन-रेणी पनबिजली परियोजना में काम कर रहे 150 से ज्यादा मजदूरों के मारे जाने की आशंका है. अभी तक तीन शव बरामद हुए हैं.
नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में नंदा देवी ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटने के कारण धौली गंगा नदी में भीषण सैलाब आ गया. इससे प्रभावित लोगों के बचाव के लिए सेना ने रविवार को चार कॉलम और दो मेडिकल टीमें तैनात की है. अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ के रिंगी गांव में सेना के इंजीनियरिंग टास्क फोर्स का एक दल भी तैनात किया गया है.
अधिकारियों ने कहा कि तपोवन-रेणी पनबिजली परियोजना में काम कर रहे 150 से ज्यादा मजदूरों के मारे जाने की आशंका है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रवक्ता ने परियोजना प्रभारी के हवाले से यह जानकारी दी. अभी तक तीन शव बरामद हुए हैं.
जोशीमठ भेजे गए हेलीकॉप्टर
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, 'चमोली में ग्लेशियर टूटने से हुई अमूल्य जनहानि से बहुत दुखी हूं. मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं. राहत और बचाव कार्य के लिए बरेली से सशस्त्र बलों के दो हेलीकॉप्टर को जोशीमठ भेजा गया है.' उन्होंने कहा, 'मैं ग्लेशियर टूटने से चमोली जिले में आई आपदा की तस्वीरें देख रहा हूं. इस मुश्किल वक्त में हम आपदा से प्रभावित लोगों के साथ खड़े हैं. उत्तराखंड के लोगों की हिफाजत की प्रार्थना कर रहे हैं.'
मेडिकल टीमें तैनात
अधिकारियों ने बताया कि सेना ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को बचाने के लिए असैन्य प्रशासन की सहायता में कई हेलीकॉप्टर भेजे हैं. सेना के एक अधिकारी ने बताया, 'सेना के चार कॉलम और दो मेडिकल टीमें अभी तक तैनात की गई हैं.' सेना के एक कॉलम में सामान्य रूप से 30-40 सैनिक होते हैं. अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के सी-130 और एएन32 विमानों की मदद से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के कर्मियों को प्रभावित इलाकों तक पहुंचाया गया है.
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