रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से प्रसिद्ध भगवान मदमहेश्वर के कपाट आज सुबह पौराणिक परम्पराओं के अनुसार आठ बजे वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए. कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई. 25 नवम्बर को डोली शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी. जहां पर छह महीने के लिए भगवान मदमहेश्वर की पूजा-अर्चना शुरू होगी. डोली पहुंचने पर ऊखीमठ में मेले का आयोजन किया जायेगा.


भगवान मदमहेश्वर के कपाट हुए बंद


बता दें कि पौराणिक परम्परा के तहत आज द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट बंद कर दिए गए है. कपाट बंद होने से पहले भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ने मदमहेश्वर मंदिर की तीन परिक्रमाएं की. इसके अलावा डोली ने धाम में अपने तांबे के बर्तनों का निरीक्षण किया और भक्तों को आशीष दिया. इसके अलावा भगवान मदमहेश्वर के स्वयंभू लिंग को अनेक पूजार्थ सामग्री से छह महीने के लिए समाधि दी गई है. आज भगवान मदमहेश्वर की डोली एवं अन्य देवी-देवताओं के निशाण प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेंगे.


6 महीने तक होगी भगवान मदमहेश्वर की पूजा


23 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी. 24 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर उनियाणा, राऊलैंक, बुरुवा, मनसूना यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गांव पहुंचेगी. और 25 नवम्बर को गिरीया गांव से प्रस्थान कर फापंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली, डंगवाडी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दीस्थल आंकारेश्वर मन्दिर पहुंचेगी. जहां ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान मदमहेश्वर की छह महीने तक पूजा-अर्चना की जाएगी.


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