Uttarakhand News: बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद, इस बार रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्रियों ने किए दर्शन
Uttarakhand News: इस बार सबसे अधिक 38 लाख रिकार्ड तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे. कपाट बंद होने तक अठारह लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम का दर्शन किए
Uttarakhand News: श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट आज शनिवार अपराह्न तीन बजकर तैंतीस मिनट पर कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में शीतकाल के लिए बंद हो गये. कपाट बंद होने के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया था. सिंह द्वार परिसर में गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था. जय बदरी विशाल के उद्घोष गूंज रहे थे. कपाट बंद के अवसर पर साढ़े पांच हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे. इस अवसर पर दानदाताओं, भारतीय सेना ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किये.
बद्रीनाथ धाम के कपाट हुए बंद
बर्फबारी के बाद बद्रीनाथ धाम में आज मौसम साफ रहा. दिन में धूप खिली रही. दूर चोटियों पर बर्फ का बसेरा रहा. बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देश में इस साल की बद्रीनाथ- केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है. इस बार सबसे अधिक 38 लाख रिकार्ड तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे. कपाट बंद होने तक अठारह लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम का दर्शन किए. उन्होंने यात्रा में योगदान करने वाले सभी व्यक्तियों, संस्थाओं को बधाई दी.
15 नवंबर को केदारनाथ के कपाट बंद हुए थे. कार्यक्रम में शामिल होने के बाद बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय श्री बदरीनाथ कपाट बंद की तैयारियों के लिए बदरीनाथ धाम पहुंच गये थे. मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि कपाट खुलने की तिथि से 17 नवंबर शुक्रवार देर रात तक 18 लाख 36 हजार 519 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे. यात्रियों की संख्या पिछले सभी यात्रा वषों में सबसे अधिक है. कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से शुरू हो गयी थी.
15 नवंबर को आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए. 16 नवंबर को खडगपुस्तक पूजन, 17 नवंबर को महालक्ष्मी की पूजा कढ़ाई भोग संपन्न हुआ. 18 नवंबर रोज की तरह सुबह की महाभिषेक के बाद बाल भोग लगा. पौने एक बजे अपराह्न सांयकालीन पूजा शुरू हुई. पौने दो बजे रावल जी ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान किया. इससे पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए.
सवा दो बजे सांयकालीन भोग और शयन आरती संपन्न हुई. ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक कपाट बंद की रस्म पूरी करते हुए भगवान बद्रीविशाल को माणा महिला मंडल के हाथ से बुना गया ऊन का घृत कंबल ओढाया गया. 3.33 बजे तीन श्री बद्रीनाथ मंदिर गर्भगृह और मुख्य सिंह द्वार के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये. इसी के साथ कुबेर जी रात्रि प्रवास के लिए बामणी गांव चले गये. श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि बदरीनाथ धाम रावल के साथ आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी ने श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ के लिए प्रस्थान किया.
19 नवंबर को आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी एवं रावल योग बदरी पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे. 20 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी रावल जी के साथ जोशीमठ स्थित श्री नृसिंह मंदिर पहुंचेगी. आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो जाएगी. इसी के साथ इस वर्ष श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का समापन होगा और योग बदरी पांडुकेश्वर, श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी.