Bageshwar News: बागेश्वर जिले के कांडा इलाके में बड़े पैमाने पर खनन के कारण जोशीमठ जैसे हालात बन रहे हैं. जिसके कारण घरों, मंदिरों और सड़कों में दरारें पड़ने लगी हैं. इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से जवाब मांगा है. एनजीटी ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बागेश्वर के डीएम को भी नोटिस जारी किया है और उन्हें वास्तविक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है.


इस मामले में एनजीटी प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने नोटिस जारी किया है. पीठ ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सीपीसीबी के साथ उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बागेश्वर के डीएम को नोटिस जारी कर वास्तविक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. इसके लिए पक्षकारों को एक सप्ताह का वक्त दिया गया है.


पुराना कालिका मंदिर भी खतरे में 
बागेश्वर स्थित पुराना कालिका मंदिर भी खतरे में है, जिसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है और दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा को आते हैं. स्थानीय लोगों ने मंदिर के ऐतिहासिक-धार्मिक महत्व की जानकारी देते हुए बताया कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा को आते हैं. इस मामले में एनजीटी की कार्रवाई से पता चलता है कि पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर सरकार और संबंधित एजेंसियों को जवाबदेह ठहराया जा सकता है. यह कार्रवाई उन लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के बारे में चिंतित है.


11 गांवों में भू-धंसाव का गंभीर खतरा 
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के 11 गांवों में भू-धंसाव का गंभीर खतरा बना हुआ है. जिससे 200 से ज्यादा परिवार प्रभावित हैं. वे जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर विस्थापन की मांग कर रहे हैं. जिले के कुँवारी और कांडा के सेरी गांव में मकानों, सड़कों, और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं. भारी बारिश और इलाके में हो रहे बड़े पैमाने पर खनन ने स्थिति को और खराब कर दिया है.


11 गांवों को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिन्हित
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बागेश्वर जिले के इन 11 गांवों को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया है. जहां लगभग 450 घर खतरे में हैं. इनमें कुँवारी और सेरी गांवों के 131 परिवार विशेष रूप से भूस्खलन से प्रभावित हैं. इसके अलावा, कांडा और रीमा क्षेत्र में सोपस्टोन खदानों के नजदीक भी कई गांवों में भू-धंसाव देखा जा रहा है. कांडा क्षेत्र में भी खेतों, सड़कों और मकानों में दरारें आने लगी हैं, जिससे ग्रामीण भयभीत हैं,


कुँवारी गांव की स्थिति बेहद गंभीर
कपकोट क्षेत्र के कुंवारी गांव की स्थिति बेहद गंभीर है. यहां की पहाड़ियों से लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे मकानों के आसपास का इलाका असुरक्षित हो गया है. 54 परिवारों को आज भी सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किए जाने का इंतजार है, वहीं कांडा तहसील के सेरी गांव में भी भू-धंसाव से प्रभावित दो दर्जन से अधिक परिवार विस्थापन की मांग कर रहे हैं.


क्या बोले उपजिलाधिकारी अनुराग आर्य
उप जिलाधिकारी कपकोट अनुराग आर्य ने बताया कि जिले के 11 गांवों को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चयनित किया गया है और प्रभावित परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया चल रही है,इसके अतिरिक्त, अन्य क्षेत्रों की भी जांच की जा रही है, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें भी विस्थापित किया जा सके. उन्होंने यह भी बताया कि कुँवारी गांव के 58 परिवारों के लिए विस्थापन प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जबकि सेरी गांव के 10 परिवारों का पहले ही विस्थापन किया जा चुका है. हाल ही में 8 नए प्रस्ताव आए हैं, जिनकी प्रक्रिया भी जारी है.


ये भी पढ़ें: Uttarakhand Rain: उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों भारी बारिश का अलर्ट जारी, भूस्खलन होने से कई सड़कें हुई बंद