Uttarakhand News: जिम कॉर्बेट पार्क में पेड़ों के कटान मामले में जांच तेज, ED ने मांगा अफसरों का वित्तीय ब्योरा
Jim Corbett National Park News: ईडी की जांच में शामिल होने के बाद अधिकारियों की धड़कनें बढ़ना लाजिमी है. उत्तराखंड के सबसे चर्चित आईएएस अधिकारी किशनचंद की भी संपत्ति का ब्योरा मांगा गया है.

Uttarakhand News: उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) के अधिकारियों की वित्तीय जानकारी परिवर्तन निदेशालय यानी एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (Enforcement Directorate) ने मांगी है. मामला जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में (Jim Corbett National Park) अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई का मामला है. बता दें कि विजिलेंस ने पहले मामले की जांच की थी. विजिलेंस के बाद सीबीआई की एंट्री हुई. अब अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई मामले में ईडी भी शामिल हो चुकी है. ईडी ने वन विभाग के लगभग आठ अधिकारियों की संपत्ति का ब्योरा मांगा है. ब्योरे में आयकर रिटर्न डिटेल भी शामिल है. हालांकि अभी तक उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से ईडी को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है.
एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की रडार पर अधिकारी
वन विभाग के कुल आठ अधिकारी ईडी की जांच के दायरे में आते हुए दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड वन मुख्यालय से प्रवर्तन निदेशालय ने अधिकारियों की आयकर रिटर्न डिटेल समेत अन्य संपत्तियों का ब्योरा मांगा है. पांच भारतीय वन सेवा के और बाकी उत्तराखंड वन विभाग में एसडीओ और रेंजर स्तर के अधिकारियों की संपत्तियों का ब्योरा मांगा गया है. अधिकारियों का नाम डीजी फॉरेस्ट की जांच में नाम सामने आया था. डीजी फॉरेस्ट ने अवैध निर्माण और पेड़ काटने या गलत निर्णय लेने के लिए दोषी पाया गया था. ईडी की जांच में शामिल होने के बाद अधिकारियों की धड़कनें बढ़ना लाजिमी है. उत्तराखंड के सबसे चर्चित आईएएस अधिकारी किशनचंद की भी संपत्ति का ब्योरा परिवर्तन निदेशालय ने मांगा है.
अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई का है मामला
सेवानिवृत हो चुके डीएफओ अखिलेश तिवारी, पर्यावरण बोर्ड में तैनात सुशांत पटनायक, वन मुख्यालय में तैनात आईएफएस अधिकारी राहुल, वन विभाग से सेवानिवृत जेएस सुहाग की संपत्ति की जानकारी साझा करने को कहा गया है. जेएस सुहाग का लंबी बीमारी के बाद देहांत हो चुका है. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ काटने की घटना के दौरान जेएस सुहाग चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन पद पर तैनात थे. वन विभाग का नाम एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की एसिस्ट सूची में नहीं है. लिहाजा वन विभाग ने शासन को पत्र लिखकर ईडी की तरफ से अधिकारियों की जानकारी मांगने का मुद्दा उठाया है.
वन विभाग ने सरकार से जवाब देने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने की भी मांग की है. हालांकि मनी लांड्रिंग एक्ट के आर्टिकल 54 के तहत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के साथ सहयोग और सहायता के लिए अनिवार्य या बाधित किया गया है लेकिन जो विभाग या अधिकारी इस आर्टिकल के तहत सूची में शामिल हैं उसमें वन विभाग नहीं है. मनी लांड्रिंग एक्ट के आर्टिकल 54 के इसी नियम का जिक्र करते हुए शासन से वन विभाग ने निर्देश मांगा है. वन विभाग सरकार से दिशानिर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई करेगा.
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