देहरादून: उत्तराखंड में अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय एचएनबी से हटाकर राज्य यूनिवर्सिटी श्री देव सुमन से संबद्ध करने की कोशिश की जा रही है. उत्तराखंड में तकरीबन ऐसे 16 अशासकीय कॉलेज हैं जिनको शासन की तरफ से पत्र भेजकर ये कहा गया है कि वो सेंट्रल यूनिवर्सिटी एचएनबी से संबद्ध खत्म कर श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्ध जोड़ें.
कॉलेजों पर दबाव बनाया जा रहा है
उत्तराखंड में अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों को केंद्रीय विवि से हटाकर राज्य विवि में संबद्ध करने की कोशिश की जा रही है. ये खेल उच्च शिक्षा विभाग के जरिए चोरी-छिपे खेला जा रहा है. नियम विरुद्ध जाकर इसके लिए बकायदा इन सभी 16 कॉलेजों पर दबाव भी बनाया जा रहा है. ऐसा ना करने पर पिछले दिनों इन सभी अशासकीय कॉलेजो का अनुदान भी रोका गया और टीचरों को सैलरी तक नहीं मिल पाई.
बैकफुट पर है उच्च शिक्षा विभाग
हालांकि, हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इससे हाथ पीछे खींच लिए हैं और अशासकीय कॉलेजों के टीचरों को सैलरी देने का भी निर्णय लिया है. लेकिन, अभी भी इन 16 कॉलेजों पर श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्ध करने का दवाब बनाया जा रहा है. गंभीर विषय ये है कि उच्च शिक्षा विभाग केंद्रीय यूनिवर्सिटी एक्ट 2009 के विपरीत जाकर ये निर्णय ले रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने केंद्रीय यूनिवर्सिटी एक्ट 2009 संसद में पारित कर एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया था और तब से ये सभी कॉलेज उसी के अधीन हैं.
राज्य सरकार किसी भी एक्ट में संशोधन नहीं कर सकती
मामले को कोर्ट तक ले जाने वाले याचिकाकर्ता रविंद्र जुगरान का कहना है कि राज्य सरकार केंद्र के किसी भी एक्ट में संशोधन नहीं कर सकती है. ये हक सिर्फ संसद को है लेकिन ये सरकार नियम विरुद्ध जाकर प्रदेश के 16 अशासकीय महाविद्यालयों को राज्य यूनिवर्सिटी से जोड़कर उत्तराखंड के छात्रों से केंद्रीय यूनिवर्सिटी में पढ़ने का हक छीन रही है.
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री बोले- जानकारी नहीं
वहीं, इस संबंध में जब उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धनसिंह रावत से पूछा गया तो उन्होंने मामले की जानकारी ना होने का हवाला दिया और कहा कि ये मामला केंद्रीय यूनिवर्सिटी से जुड़ा है, तो इस पर ज्यादा जानकारी केंद्रीय यूनिवर्सिटी से संबंधित लोग ही दे सकते हैं. लेकिन, शासन ने कोई लेटर भेजा है तो नियमों के तहत ही भेजा गया होगा. सूत्रों के हवाले से ये भी जानकारी मिली है की इन सबके पीछे उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत का ही हाथ है.
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