Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे चार धाम के पुरोहित चुनाव में उतारेंगे 15 उम्मीदवार
Uttarakhand Election 2022: चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत समिति ने कहा है कि उन्हें बीजेपी और प्रदेश सरकार पर भरोसा नहीं है. उसका कहना है कि चुनाव में वह बीजेपी के खिलाफ प्रचार करेगी.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस को अब एक नए मोर्चे का मुकाबला करना होगा. दरअसल उत्तराखंड के चार धाम के पुरोहितों की संस्था ने कहा है कि चुनाव में वो 15 उम्मीदवार खड़ा करेगी. ये पुरोहित राज्य सरकार की ओर से बनाए गए देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं. इसके लिए पुरोहितों ने चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत समिति का गठन किया है. समिति ने कहा है कि वो बीजेपी के खिलाफ प्रचार करेगी.
बीजेपी का कैसे विरोध करेगी चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत समिति
समिति ने गुरुवार को कहा कि गैरसैंण में होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान वो विधानसभा का घेराव करेगी. समिति के प्रमुख कृष्णकांत कोटियाल ने कहा कि पुजारी विपक्ष के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे.
देवस्थानम बोर्ड एक्ट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में बना था. इसके बाद दो साल पहले देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की गई थी. यह बोर्ड चार धामों केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री से जुड़े 51 मंदिरों की देखरेख करता है. पुरोहित इस बोर्ड के गठन का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस बोर्ड ने मंदिरों पर उनके परंपरागत अधिकार को खत्म कर दिया है. अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक पुरोहित के चुनाव लड़ने की घोषणा का बीजेपी पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा. वहीं कांग्रेस के चुनाव प्रभारी हरीश रावत पहले ही इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर देवस्थानम बोर्ड को खत्म कर दिया जाएगा.
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बनाया था देवस्थानम बोर्ड
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 1 नवंबर को केदारनाथ की यात्रा की थी. इस दौरान उन्हें पुरोहितों के विरोध का सामना करना पड़ा था. उन्हें काले झंडे दिखाए गए थे. इसका असर यह हुआ कि त्रिवेंद्र सिंह रावत केदारनाथ के दर्शन किए बिना वापस लौट गए थे. इसके दो दिन बाद ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने भी केदारनाथ का दौरा किया. वो प्रधानमंत्री की केदारनाथ यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने गए थे. इस दौरान उन्होंने पुरोहितों को आश्वासन दिया कि इस समस्या का समाधान 30 नवंबर तक हो जाएगा. इसके बाद पुरोहितों ने अपना विरोध-प्रदर्शन वापस ले लिया था.
वहीं कृष्णकांत कोटियाल का कहना है कि पुरोहितो का बीजेपी और सरकार पर अब भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के जरिए हम अपनी बात को पूरे देश तक पहुंचाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हम श्रद्धालुओं से अनुरोध करेंगे कि वो बीजेपी के खिलाफ वोट करें और हम प्रमुख लोगों को पोस्टकार्ड लिखकर भी अपनी भावनाओं से अवगत कराएंगे.
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