देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन था. इस दौरान विपक्ष ने भ्रष्टाचार को लेकर खूब हंगामा काटा. समूचा विपक्ष पहले तो हाई कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच के मामले पर चर्चा कराने के लिए अड़ा रहा, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने चर्चा की अनुमति नहीं दी. इस पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश के नेतृत्व में प्रीतम सिंह, काज़ी निजामुद्दीन, करण माहरा, ममता राकेश समेत समूचा विपक्ष हंगामा करने लगा.


विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए इस पर सदन में चर्चा कराया जाना अवैधानिक होगा. विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यदि आपके पास भ्रष्टाचार का कोई ऐसा मामला है जो कि न्यायलय में विचाराधीन नहीं है तो लाइए मैं चर्चा कराने को तैयार हूं. इस पर विपक्ष ने मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार की कंपनी का मुद्दा उठाया. विपक्ष की तरफ से इस मामले में नियम 310 के अंतर्गत पीठ के सामने मुद्दे को रखते हुए कहा कि पंवार की इस सोशल म्यूचल कंपनी ने 200 करोड़ रूपये की मनी लॉन्ड्रिंग की है.


विपक्ष का कहना था कि जून 2020 में इस मामले में आरबीआई ने सरकार को इस कंपनी की गतिविधियों की और इतनी बड़ी धनराशि आने की जांच करने को कहा था, लेकिन मुख्य सचिव ने एसटीएफ से जांच कराने की बात तो कही लेकिन जांच नहीं हुई. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इस मामले को नियम 58 में चर्चा कराने की अनुमति दे दी.


लेकिन चर्चा के बाद स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने इस सूचना को अग्राह्य कर दिया. स्पीकर ने माना मामला उस तरह का नहीं है जैसा विपक्ष उठा रहा है. उधर, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार ने एबीपी से बातचीत में कहा कि सारे आरोप निराधार हैं और आरबीआई ने भी मामले को स्पष्ट कर दिया था. आरोप लगाने वालो के ख़िलाफ़ मैं मानहानि मुकदमा दायर करवाऊंगा.


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