Uttarakand: उत्तराखंड में जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने कसी कमर, उठाए गए ये बड़े कदम
Uttarakand Forest Department: उत्तराखंड में जंगलों में हर साल लगने वाली आग से बचने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है. फायर सीजन की शुरुआत होते ही कई अहम कदम उठाए गए हैं.
Uttarakand Forest Fire: उत्तराखंड में पहाड़ों पर जंगलों में लगने वाली आग से हर साल पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंचता है लेकिन इस बार ये नुकसान कम से कम हो इसके लिए वन महकमे (Uttarakhand Forest Department) ने फायर सीजन की तैयारियां शुरू कर दी हैं. जंगलों की आग को रोकने के लिए इस बार जनपद में कुल 29 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं, जिससे आग की सूचना पर त्वरित गति से कार्रवाई की जा सके. फायर सीजन (Fire Season) में हर साल कई हेक्टेयर वन संपदा को आग से नुकसान पहुंचता है. यही नहीं जंगली जानवर भी इसकी चपेट में आ कर मर जाते हैं.
वन विभाग ने उठाए ये कदम
जंगलों की में लगने वाली आग पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा बनती जा रही है. ऐसे में जंगलों की आग को रोकने के लिए सरकार की ओर से विशेष कार्य करने की जरूरत है. वन विभाग वनाग्नि को रोकने के लिए तमाम दावे करता है, लेकिन ऐन वक्त पर विभाग हाथ खडे कर देता है. हर साल की तरह इस साल भी वन विभाग दावानल की घटनाओं को रोकने के लिए तमाम प्रयास करने में जुटा है. इसे रोकने के लिए विभाग की ओर से एक कंट्रोल रूम समेत कुल 29 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. जहां से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा. प्रत्येक क्रू स्टेशन में लगभग पांच कर्मियों को तैनात किया जाएगा. जिससे क्रू स्टेशन के आसपास के क्षेत्रों में होने वाली आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.
गांववालों को किया जा रहा है जागरुक
इस वर्ष भी वन विभाग की ओर वनाग्नि सुरक्षा सप्ताह के तहत गांवों व स्कूलों में गोष्ठियों का आयोजन कर छात्रों एवं ग्रामीणों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. गोष्ठी में वनों में आग लगने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान एवं जंगली जानवरों पर मंडराने वाले खतरों के बारे में बताया जा रहा है. इसके अलावा जंगलों की वन संपदा पूरी तरह नष्ट होने से चारापत्ती का संकट भी ग्रामीणों को बताया जा रहा है. इसके साथ ही ग्रामीणों से सुझाव भी मांगे गए है. प्रदेश सरकार जंगलों में आग बुझाने के लिए अभी तक कोई नया तरीका नहीं ढूंढ सका है. जिससे आग लगते उस पर समय पर काबू पाया जा सके. वन विभाग भी हर साल पुराने तरीके एवं संसाधनों को ही आग बुझाने में इस्तेमाल करता आ रहा है. जो पहाड़ की आग बुझाने में नाकाफी साबित हो रहा है. 15 जून तक चलने वाले इस फायर सीजन में जंगलों की आग से निपटने के लिए विभाग की ओर से पूरी तैयारियां की जा रही है.