Uttarakhand News: ठंड में बढ़ रही मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं, वन विभाग ने जारी की एडवाइजरी
Uttarakhand Forest News: वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट संजय छीमवाल ने भी इस विषय पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि ठंड के समय में वन्यजीवों का मेटिंग पीरियड होने के कारण वे आक्रामक हो जाते हैं.
Uttarakhand News: उत्तराखंड में ठंड के मौसम के साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ने लगी हैं. प्रदेश में वन्यजीवों के हमले से जुड़ी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे वन विभाग और विशेषज्ञ भी चिंतित हैं. इस संबंध में उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के एडिशनल पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) विवेक पांडे ने एबीपी लाइव से बात करते हुए बताया कि ठंड का मौसम इस प्रकार के संघर्ष को और बढ़ा देता है.
विवेक पांडे ने बताया कि, सर्दियों में वन्यजीवों का "मेटिंग पीरियड" होता है, जिस दौरान उनकी प्रवृत्ति आक्रामक हो जाती है. साथ ही, जंगलों में झाड़ियों के बढ़ने और कोहरे के कारण वन्यजीव छुपे रहते हैं, जिससे लोगों का उनके साथ टकराव बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है. वन विभाग ने इसको लेकर एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें लोगों को जंगलों में प्रवेश के दौरान सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.
विभाग के डीएफओ समय-समय पर स्थानीय निवासियों को इस बारे में जागरूक भी करते रहते हैं, ताकि वन्यजीवों से जुड़ी घटनाओं को रोका जा सके. उन्होंने बताया कि इस मौसम में वन्यजीव जंगल के घने झाड़ियों में छुपकर रहते हैं और कोहरे के कारण जंगल में उनकी गतिविधियों को देखना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जंगल में इंसानों का दखल बढ़ने से संघर्ष की घटनाओं में वृद्धि होती है.
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट ने भी दी यही सलाह
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट संजय छीमवाल ने भी इस विषय पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि ठंड के समय में वन्यजीवों का मेटिंग पीरियड होने के कारण वे आक्रामक हो जाते हैं. इसके अलावा, कोहरे के कारण वन्यजीव जंगलों में दिखाई नहीं देते, और इस दौरान वे घनी झाड़ियों में छुपे रहते हैं. जब लोग जंगल में प्रवेश करते हैं, तो इस टकराव की घटनाएं बढ़ जाती हैं. यह समय वन्यजीवों के प्राकृतिक व्यवहार में बदलाव का होता है. उनकी गतिविधियां इंसानों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकती हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं. वन विभाग द्वारा चलाए जाने वाले जागरूकता अभियानों में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए. साथ ही, जंगल के पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा सकते हैं ताकि उन्हें वन्यजीवों के व्यवहार और जोखिमों को समझने में सहायता मिल सके. वन विभाग जंगल के किनारे रहने वाले लोगों को सावधानी बरतने और सतर्क रहने की हिदायतें देता है, जिससे इस संघर्ष को कम किया जा सके.
भविष्य की दिशा में उठाए जाने वाले कदम
उत्तराखंड में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए सरकार और वन विभाग को अतिरिक्त कदम उठाने होंगे. इसके तहत जंगल के नजदीक बसे लोगों को वन्यजीवों के मेटिंग पीरियड और ठंड के मौसम में बढ़ते खतरे के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, वन्यजीवों के लिए सुरक्षित स्थान और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी वन विभाग की प्राथमिकता होनी चाहिए.
ठंड के मौसम में वन्यजीवों और इंसानों के बीच होने वाले इस टकराव को कम करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा. वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और विशेषज्ञों की सलाह से इस समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है, जिससे मानव और वन्यजीव दोनों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके.
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