Uttarakhand News: उत्तराखंड में विलुप्त होती गिद्धों की 4 प्रजातियों पर होगा शोध, शासन से मांगी अनुमति, जानें- तैयारी
Uttarakhand News: उत्तराखंड में इस समय संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या 1272 मानी जाती है. पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने को लेकर इनकी भूमिका बेहद खास मानी जाती है.
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Uttarakhand News: उत्तराखंड में पहली बार गिद्धों की 4 प्रजातियों के दो-दो पक्षियों पर सेटेलाइट टेक लगाकर अध्ययन किया जाएगा. शिकारी श्रेणी की में आने वाले गिद्धों की प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर माना गया है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर यानी आईयूसीएन इन्हें विलुप्त प्राय पक्षियों की श्रेणी में मानता है. राजाजी नेशनल पार्क और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अब इन पर अध्ययन शुरू किया जाएगा जिसके लिए शासन से अनुमति मांगी गई है.
इस समय संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या 1272 मानी जाती है. पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने को लेकर इनकी भूमिका बेहद खास मानी जाती है. फिलहाल उत्तराखंड में इन गिद्धों की संख्या कितनी है इसका कोई ठीक आंकड़ा अभी तक मौजूद नहीं है ना ही इसको लेकर कोई सेंसस किया गया है. वन विभाग के 2005 के आंकड़ों के अनुसार गिद्धों की संख्या 1272 संरक्षित क्षेत्रों में तथा उसके बाहर 3794 कुल 5066 मानी जाती है. उसके बाद से अभी तक कोई भी डाटा अपडेट नहीं हो पाया है ना ही इनके संख्या का कोई सटीक आंकड़ा वन विभाग के पास मौजूद है.
गिद्धों की इन प्रजातियों पर होगा शोध
वन विभाग इनको लेकर शोध करना चाहता है, जिसके लिए शासन से अनुमति मांगी गई है. जिसके तहत गिद्धों की दो अलग-अलग प्रजातियों के दो दो पक्षियों पर सेटेलाइट टेक लगाकर अध्ययन किया जाएगा. यह अध्ययन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और राजाजी नेशनल पार्क में किया जा सकता है. जिन गिद्धों का अध्ययन किया जाएगा ऐसे गिद्धों की चार प्रजातियां हैं.
1- लाल सिर गिद्ध (रेड हेडेड वल्चर)
2- सफेद पूंछ वाला गिद्ध (व्हाइट रम्प्ड वल्चर)
3- सफेद गिद्ध (इजिप्सिन वल्चर)
4- प्लास फिश
तीन साल तक चलेगा गिद्धों पर शोध
उत्तराखंड में चार प्रकार के वल्चर मौजूद हैं. वन विभाग की अगर मानें तो ये चारों प्रजाति के काफी रेयर हैं और ये प्रजाति धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रही है. अब इनकी प्रजातियों को बचाने के लिए वन महकमा काफी संजीदा है, जिसके बाद अब इन पर शोध शुरू करने की तैयारी की गई है. ये शोध लगभग 3 साल तक चलेगा, जिसके बाहर निकल कर सामने आएगा कि उत्तराखंड में कितने वल्चर मौजूद हैं और उनको किस प्रकार से संरक्षित किया जा सकता है. फिलहाल इसकी अनुमति शासन से मिलना बाकी है शासन से अनुमति मिलने के बाद इसका कार्य तेजी से शुरू किया जाएगा.
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