Uttarakhand Fire News: उत्तराखंड में जंगल लगातार जल रहे है. कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक जंगल आग से धधक रहे है वन महकमा जंगल की आग बुझा पाने में नाकाम साबित हुआ है. कुमाऊ से लेकर गड़वाल तक कई हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुके है ,कुमाऊं समेत पूरे प्रदेश में जंगलों की आग ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है,जंगली जानवरों से लेकर आम इंसानों तक जंगल की आग से प्रभावित हो रहे है यहां तक की सांस लेना मुश्किल हो रहा है वन्य जीव वनाग्नि की वजह से जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं कई गांवों में तो आबादी तक जंगल की आग पहुंच गई है पिछले एक माह के दौरान जंगलों में आग की घटनाओं ने तेजी पकड़ी है.
एक अप्रैल से लेकर 27 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में 559 वनाग्नि की घटनाएं हुई. इनमें कुमाऊं में 318 घटनाएं हुई हैं. इस दौरान पूरे प्रदेश में 689 हेक्टेअर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है स्थानीय लोगों का कहना है कि जब गंभीरता दिखानी चाहिए तब विभाग दिखाता नहीं, जब हालात नियंत्रण के बाहर हो जाते हैं तब विभाग, आला अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों को वनाग्नि और हो रहे पर्यावरण के नुकसान की याद आती है,उत्तराखंड में जंगल की आग ने रौद्र रूप ले लिया है.
वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही लगातार
कुमाऊं क्षेत्र के नैनीताल वन प्रभाग में 28 घटनाएं हुई. हल्द्वानी नैनीताल जिले के अंतर्गत नैनीताल वन प्रभाग समेत छह वन प्रभाग आते है. इन प्रभागों के अंतर्गत आने वाले जंगलों में 15 फरवरी से अब तक कुल 76 घटनाएं हुई है. इसमें करीब 91 हेक्टेयर क्षेत्रफल जल कर खाक हुआ है.
इसमें सर्वाधिक घटना नैनीताल वन प्रभाग में हुई है. इस प्रभाग में संबंधित अवधि में 28 वनाग्नि की घटना हुई है. इसके अलावा पिथौरागढ़ जनपद में 69, बागेश्वर में 11, चंपावत में 37, अल्मोड़ा 43 और उधम सिंह नगर में 41 घटनाएं हुई है. ये घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही है.
अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां हुई रद्द
नैनीताल में शनिवार को आग बुझाने के लिए सेना के हेलीकॉप्टर को बुलाना बड़ा इससे पूर्व 2016 में भी जंगल की आग उत्तराखंड में बेकाबू हुई थी जिसे बुझाने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ी थी.2016 में प्रदेश के जंगलों में भीषण आग लगी थी. इस आग पर काबू पाने के लिए 2016 में एयरफोर्स की मदद मांगी गई थी. इसमें गढ़वाल और कुमाऊं में अभियान शुरू किया गया था. उस वक्त भी भीमताल झील से पानी भरकर हेलीकॉप्टर ने वनाग्नि प्रभावित इलाकों में पानी डाला था.फिलहाल शासन ने जंगल में बढ़ती आग को देखते हुए उत्तराखंड के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी है. और अगले आदेशों तक किसी को भी छुट्टी नहीं दी जाएगी.
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