Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड के जंगल में लगने वाली आग के मामले में उत्तराखंड वन विभाग नाकाफी कार्रवाई करता हुआ नजर आया है. पिछले 10 साल एक आंकड़े अगर देखे तो ये आंकड़े चौकाने वाले है. पिछले 10 साल में जंगल की आग से 79 लोग झुलसे हैं. जबकि 29 लोगों की जान जा चुकी है औसतन हर साल 2,400 हेक्टेयर वन क्षेत्र जंगल की आग से प्रभावित हो रहा है.
उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग लगती है और इसे रोकने के लिए वन विभाग मैराथन बैठकों के बाद एक्शन प्लान तैयार करता है. लेकिन फिर भी लगती ही जाती है.फिर वन विभाग के कर्मचारियों के साथ साथ एनडीआरएफ से लेकर एनडीआरएफ और कई बार सेना तक की इस काम में मदद लेनी पड़ती है. ताकि हेलीकॉप्टर की मदद से आग बुझाने पड़ती है. वहीं शासन-प्रशासन को भी इस काम में झोंक दिया जाता है. लेकिन जंगल की आग के आगे हर साल की तरह इस साल भी विभाग के सारे इंतजाम नाकाफी साबित हुए है.
पिछले 10 साल में 29 लोगों की गई जान
उत्तराखंड में औसतन हर साल 2,400 हेक्टेयर से अधिक जंगल जल रहे हैं जो की एक सोचने वाली बात है, कई बार इस को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी संज्ञान ले चुकी है. वहीं पिछले 10 साल में 29 लोगों की जान जंगल की आग में जा चुकी है. जबकि 79 लोग इस आग में झुलस चुके हैं. वहीं पर्यावरणविद् बताते हैं कि इस काम में जब तक सामुदायिक सहभागिता नहीं होगी. तब तक जंगल को आग से बचाना संभव नहीं हैं.उधर वन विभाग का कहना है कि इस दिशा में काम किया जा रहा है.
क्या बोले वन मंत्री सुबोध उनियाल
एबीपी लाइव को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि हम जन सहभागिता के लिए पहली बार ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट कमेटी बनाई है. पहले फेस में जहां वन अग्नि की घटनाएं अधिक थी. वहां वन अग्नि प्रबंधन समिति बनाई. जिसमे 441 जगहों में हम वन गनी प्रबंधन समिति बना चुके है. जिसमे ग्राम प्रधान अध्यक्ष होता है. वहीं युवक मंगल दल महिला मंगल भी बनाया गया है,जो इस समिति के मेंबर होंगे वही राजस्व का भी एक कर्मचारी इस समिति में मेंबर होगा और वन विभाग का भी एक कर्मचारी इस समिति का मेंबर होगा. वहीं 30 हजार रुपए पर फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट कमेटी को देने का फैसला हमने लिया है इससे जन सहभागिता बढ़ेगी.
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