Uttarakhand News: उत्तराखंड में लगातार बढ़ती मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं से राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि गुलदार और बाघ ने लोगों का गावों में रहना दूभर कर दिया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण दशहत के साये में जीने को मजबूर हैं. हरीश रावत ने वन्यजीवों से जनहानि को रोकने के लिए नीति बनाने की मांग की. बता दें कि दो दिन पहले देहरादून के सिंगली गांव में गुलदार का आतंक देखने को मिला. गुलदार 4 साल के मासूम बच्चे को उठाकर ले गया. बच्चा घर के आंगन में खेल रहा था. घटना ने देहरादून में सिहरन पैदा कर दी.


विपक्ष के निशाने पर आई धामी सरकार


बच्चे की खोज में वन महकमा और पुलिस के जवान रात भर लगे रहे. अगली सुबह बच्चे का शव क्षत-विक्षत स्थिति में बरामद हुआ. घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि गुलदार और बाघ के हमले मुसीबत का सबब बन रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोग घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राज्य सरकार को सुझाव दिया है.




मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते मामले


मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार को केंद्र से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को वन्यजीवों से हो रहे नुकसान में गुलदार और बाघ भी शामिल हैं. नुकसान को कम करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र की मदद से नीति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि बाघ-गुलदार भी जरूरी हैं, लेकिन उन क्षेत्रों में जहां उनकी संख्या कम है. यहां तो एक-एक गांव दो-दो तीन-तीन गुलदारों का अड्डा बन गया है. आखिर बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी.  


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