Uttarakhand News: उत्तराखंड की राजनीति में हाल ही में एक नया विवाद तब खड़ा हो गया. जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए इसे ‘थूक जिहाद’ करार दिया. सीएम धामी के इस बयान पर विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया आई, खासकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. रावत ने धामी के बयान को सिरे से खारिज करते हुए इसे अनावश्यक और विभाजनकारी करार दिया. 


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में उत्तराखंड में कुछ घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘थूक जिहाद’ कहा. धामी ने कहा कि राज्य में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पर चाय पर थूकने और रोटी पर थूकने जैसी घिनौनी घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं को मुख्यमंत्री ने धार्मिक उन्माद का एक रूप मानते हुए इसे ‘थूक जिहाद’ की संज्ञा दी और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही. 


सीएम धामी ने बयान में क्या कहा? 
धामी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि यह घटनाएं न सिर्फ समाज के ताने-बाने को कमजोर करती हैं, बल्कि एक तरह से लोगों के स्वास्थ्य और सम्मान पर हमला करती हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं केवल आपराधिक मानसिकता का परिणाम नहीं हैं, बल्कि एक गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक उकसावे का हिस्सा हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ऐसे मामलों पर कड़ी कार्रवाई करेगी और इस तरह की मानसिकता को बढ़ावा देने वाले तत्वों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


धामी का यह बयान तब आया जब कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिनमें कुछ लोग कथित रूप से खाने और पीने की चीजों में थूकते नजर आ रहे थे. इन घटनाओं के बाद उत्तराखंड में माहौल तनावपूर्ण हो गया और जनता में गुस्सा पनपने लगा. मुख्यमंत्री धामी ने इसी संदर्भ में 'थूक जिहाद' शब्द का इस्तेमाल करते हुए इस समस्या को गंभीर बताया और इसे धार्मिक उन्माद से जोड़ दिया. उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात करते हुए कहा कि यह न केवल अपराध है, बल्कि यह समाज के लिए गंभीर खतरा भी है.


हरीश रावत का पलटवार- ‘यह जिहाद नहीं, मानसिक विकृति है'
मुख्यमंत्री धामी के ‘थूक जिहाद’ वाले बयान के बाद, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और धामी के बयान को आड़े हाथों लिया. हरीश रावत ने कहा कि ऐसी घटनाओं को ‘जिहाद’ का नाम देना सरासर गलत है. उन्होंने इसे कुछ विकृत मानसिकता वाले लोगों की हरकत बताया और कहा कि इसे धार्मिक उन्माद या ‘जिहाद’ का नाम देना उचित नहीं है.


रावत ने कहा, "रोटी या चाय पर थूकने जैसी हरकतें जिहाद नहीं हैं, यह मानसिक विकृति है. ऐसे लोग पागल हैं, जिन्हें मानसिक उपचार की जरूरत है. इन्हें किसी तरह के धार्मिक उन्माद या जिहाद से जोड़ना अनुचित है." हरीश रावत ने कहा कि इस तरह के लोग समाज के लिए घृणित हैं और उन्हें जेल में डालकर कड़ी सजा दी जानी चाहिए. 


पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के नेता हर चीज में ‘जिहाद’ शब्द का उपयोग कर रहे हैं, जो कि सही नहीं है. "जिहाद का मतलब एक बड़े परिवर्तन या सकारात्मक सोच का परिवर्तन होता है. लेकिन भाजपा हर गलत चीज को जिहाद से जोड़कर उसका गलत संदेश दे रही है," रावत ने कहा. उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि जब राज्य के शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह के बयान देता है, तो इससे समाज में विभाजन की भावना बढ़ती है.


हरीश रावत ने मुख्यमंत्री धामी के बयान को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को इस तरह के मामलों में धर्म को घसीटने की बजाय इसे आपराधिक मानसिकता के रूप में देखना चाहिए. रावत ने कहा, "यह समाज के कुछ लोगों की मानसिक विकृति है, जिसे सही उपचार की जरूरत है. इसे धार्मिक उन्माद या किसी खास वर्ग के खिलाफ साजिश करार देना गलत है." 


उन्होंने कहा कि भाजपा हर मुद्दे को जिहाद से जोड़कर अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जो कि सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है. "पागलों, मानसिक रूप से विकृत लोगों को जिहादी कहना उनका महिमामंडन करने जैसा है, और यह समाज के लिए खतरनाक है," रावत ने कहा.


राजनीतिक निहितार्थ और सामाजिक प्रभाव
धामी और रावत के बीच यह वाकयुद्ध, उत्तराखंड की राजनीतिक परिदृश्य में एक नई बहस को जन्म दे चुका है. जहां एक ओर धामी इस मुद्दे को धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से जोड़कर इसे गंभीर बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रावत इसे मानसिक विकृति के रूप में देख रहे हैं और भाजपा पर समाज में धार्मिक विभाजन पैदा करने का आरोप लगा रहे हैं.


यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि कैसे छोटे-छोटे आपराधिक कृत्यों को भी राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है, और इससे समाज में तनाव और विभाजन की स्थिति बन सकती है. रावत ने इसे लेकर भाजपा की राजनीति पर भी सवाल उठाए और कहा कि इस तरह के बयान समाज में घृणा फैलाने का काम कर सकते हैं.


उत्तराखंड की राजनीति में ‘थूक जिहाद’ जैसे मुद्दों को लेकर धामी और रावत के बीच छिड़ी इस बहस ने एक नए विवाद को जन्म दिया है. जहां एक ओर धामी इसे धार्मिक उन्माद के रूप में देख रहे हैं और इसे गंभीर समस्या बता रहे हैं, वहीं हरीश रावत ने इसे मानसिक विकृति करार देते हुए भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.


इस विवाद का असर आने वाले चुनावों में भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि यह मुद्दा अब राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन चुका है. धामी और रावत के बीच इस बयानबाजी ने उत्तराखंड के राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस ओर मोड़ लेता है.


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