Harish Rawat Statement: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) ने अपने डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस की हार पर गहरी चिंता जताई. हरीश रावत ने इसे न केवल कांग्रेस की बल्कि पूरे उत्तराखंड की हार बताया. उन्होंने कहा कि जनता "उत्तराखंडियत" को बचाने की बात करने वालों की भावना को समझने में विफल रही है.


हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस ने एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारा, जिसने अपना जीवन उत्तराखंड के हितों की रक्षा में समर्पित कर दिया. कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत के बारे में बोलते हुए उन्होंने बताया कि मनोज ने 2018 में भू-कानून और मूल निवास जैसे अहम मुद्दों को उठाया. इसके अलावा उन्होंने पलायन, रोजगार और महिला सुरक्षा जैसे विषयों पर भी प्रभावशाली काम किया है.


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि जनता उत्तराखंड के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाले व्यक्ति को आशीर्वाद देगी. उन्होंने कहा, "यह अत्यंत चिंताजनक है कि जनता ने ऐसे व्यक्ति को खारिज कर दिया, जिसने हमेशा राज्य के कल्याण की बात की."


चुनाव परिणाम पर जाहिर की निराशा
हरीश रावत ने चुनाव परिणामों पर अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहा कि यह हार केवल कांग्रेस की हार नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के उन मुद्दों की भी हार है, जिन पर काम होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि यह समय आत्ममंथन का है और यह देखना होगा कि जनता उत्तराखंडियत के मुद्दों पर क्यों गंभीर नहीं हो पा रही है.


भविष्य की दिशा पर विचार
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस आने वाले समय में जनता की समस्याओं को बेहतर तरीके से समझने और उनके समाधान के लिए अधिक मजबूत प्रयास करेगी. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पार्टी केवल सत्ता की राजनीति नहीं करती, बल्कि उत्तराखंड के विकास और उसकी संस्कृति की रक्षा को प्राथमिकता देती है.


यह प्रेस वार्ता ऐसे समय में हुई जब केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस की हार ने पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह चिंतन का माहौल बना दिया है. हरीश रावत ने चुनाव परिणामों को एक चेतावनी के रूप में देखा और इसे राज्य के लिए गंभीर संकेत बताया.


बता दें कि, केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी. इस हार ने न केवल पार्टी की रणनीति बल्कि राज्य के भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.


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