Uttarakhand News: उत्तराखंड की राजधानी के प्रतिष्ठित दून क्लब में धोती कुर्ता पहन कर आने वालों की नो एंट्री है. बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल को प्रबंधन ने सदस्यता देने से इनकार कर दिया. मनमोहन कंडवाल शनिवार को सदस्यता लेने धोती कुर्ता और सर पर नेहरू टोपी लगाकर पहुंचे थे. दून क्लब प्रबंधन ने नियमों का हवाला देकर सदस्यता खारिज कर दी. बता दें कि दून क्लब में शहर के नामी और रईस लोग सदस्य हैं. जानकारी के मुताबिक दून क्लब की सदस्यता आसानी से नहीं मिलती है. सदस्यता लेने के लिए लाखों रुपए अदा करने पड़ते हैं. क्लब में अगले 20 वर्षों तक की वेटिंग चल रही है.


बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष को नहीं मिला दाखिला


अंग्रेजों की गुलामी वाली मानसिकता को दूर करने के लिए मनमोहन कंडवाल ने आंदोलन करने का फैसला किया है. उन्होंने बताया कि सनातनी परिधान में होने के कारण दून क्लब के अंदर जाने से मना कर दिया गया. उनसे रिसेप्शन पर दून क्लब आने का कारण पूछा गया. उन्होंने बताया कि फॉर्म लेने आए हैं. दून क्लब के अध्यक्ष सुमित मेहरा ने मनमोहन कंडवाल को नियम कानून की जानकारी दी. रिसेप्शन से बाहर निकलकर मनमोहन कंडवाल ने पत्रकारों को बताया कि 1901 से अभी तक दून क्लब के पदाधिकारियों की मानसिकता में कोई परिवर्तन नहीं हो पाया है. पदाधिकारी आज भी अंग्रेजों के बनाये नियमों पर चल रहे हैं.


दून क्लब ने फैसले के पीछे दिया ड्रेस कोड का हवाला


उन्होंने बताया कि सनातनी वेशभूषा में पहुंचे थे और भारतीय संस्कृति पर गर्व है. लेकिन दून क्लब में सनानती वेशभूषा पहने शख्स का दाखिला मना है. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि दून क्लब आज भी अंग्रेजों के नियम और शर्तों पर चल रहा है. भारतीय परिधान में एंट्री से मना करना अंग्रेजों की मानसिकता को दर्शाता है. दून क्लब के अध्यक्ष सुमित मेहरा ने कहा कि नियम कानूनों में बदलाव करना अकेले की बात नहीं है. पहली बार किसी ने इस मुददे को उठाया है. अभी तक सोचा नहीं गया था. उन्होंने बताया कि दून क्लब हाउस की बैठक में ड्रेस कोड का मुद्दा उठाया जाएगा. बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि अदालत का दरवाजा खटखटाने से भी पीछे नहीं हटेंगे. ब्रिटिशकाल के नियम कानून को बदलवाने की लड़ाई लड़ेंगे. 


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