Uttarakhand News: उत्तराखंड में कैदियों की बढ़ रही तादाद से जेल प्रशासन को खासी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. जेल प्रशासन को बंदियों के खाने और रहने की व्यवस्था करने में पसीने छूट रहे हैं. दूसरी तरफ बंदियों को जेल में सोने तक की जगह नहीं मिल पा रही है. कैदियों ने जेल में हो रही समस्याओं को कई बार अदालत के सामने उठाया है. उन्होंने अदालत से मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में दखलअंदाजी की भी गुहार लगाई. उत्तराखंड में चार बड़ी जेलों का संचालन होता है. हरिद्वार, देहरादून, उधनसिंह नगर और टिहरी जेल में क्षमता से दो गुना बंदी हैं.


क्षमता से दोगुना उत्तराखंड की जेलों में बंदी


बंदियों की भीड़ के कारण जेलों की व्यवस्था चरमरा गई है. सजायाफ्ता मुजरिमों के मुकाबले ट्रायल वाले बंदियों की संख्या रोजाना बढ़ रही है. उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी ने बताया कि समस्या को देखते हुए शासन की ओर से नई जेल बनाने का प्रस्ताव है. बजट का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जा रहा है. अनुमति मिलने के बाद नई जेल बनाने की कवायद शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि जेल आधुनीकिरण की दिशा में सरकार प्रयासरत है.


आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण


मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जेल विकास बोर्ड का भी गठन किया गया है. बंदियों को बेहतर सुविधा दिलाने के लिए जेल में विकास कार्य किए जा रहे हैं. जेल विकास बोर्ड की पहली बैठक में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय कैदियों की बेहतरी के लिए लिए गए हैं. सजायाफ्ता कैदियों के लिए कौशल प्रशिक्षण का कार्यक्रम शुरू किया गया है. कार्यक्रम का मकसद है जेल से छूटने के बाद अपराध की दुनिया से अलग आत्मनिर्भर बनाना. उन्होंने आगे बताया कि कैदियों की रोजाना मजदूरी दर में भी इजाफा किया गया है. सजायफ्ता कैदी सजा खत्म कर जेल से बाहर कामकाज शुरू सकेंगे. अपराध की दुनिया छोड़ चुके बंदियों को परिवार का पालण पोषण करने में मदद मिलेगी. 


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