Uttarakhand Cabinet Expansion: तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, 8 कैबिनेट और 3 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली
Uttarakhand Government Cabinet Expansion LIVE Updates: तीरथ सिंह रावत के सामने कुमाउं और गढवाल के बीच सामंजस्य और क्षेत्रीय संतुलन बनाने की चुनौती है. अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री रावत अपने मंत्रिमंडल में कांग्रेस से आए विधायकों कितना महत्व देते हैं.
बैकग्राउंड
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर रहे हैं. रावत के सामने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दो बड़ी चुनौतियां हैं. पहली चुनौती कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए उन विधायकों को लेकर है जो त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभाल रहे थे. इनमें सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल और रेखा आर्य शामिल थे.
मुख्यमंत्री के सामने दूसरी बड़ी चुनौती कुमाउं और गढवाल के बीच सामंजस्य और क्षेत्रीय संतुलन बनाने की है. साल 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश की 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल करके जबरदस्त बहुमत से सत्ता में आई बीजेपी सरकार की कमान संभालते समय त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मंत्रिमंडल में अपने अलावा केवल नौ मंत्रियों को ही शामिल किया था. प्रदेश मंत्रिमंडल में अधिकतम 11 सदस्य हो सकते हैं लेकिन त्रिवेंद्र सिंह मंत्रिमंडल में दो पद खाली छोड़ दिए गए. जून 2019 में प्रदेश के वित्त और आबकारी मंत्री प्रकाश पंत का निधन हो गया जिसके बाद रिक्त मंत्री पदों की संख्या तीन हो गई.
हालांकि, बार-बार चर्चाओं के बाद भी ये पद कभी भरे नहीं गए और जानकारों का कहना है कि इसे लेकर विधायकों की नाराजगी भी त्रिवेंद्र सिंह रावत के सत्ता से बाहर होने का एक प्रमुख कारण रही. साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ हुई बगावत के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले 10 विधायकों में से नौ को पार्टी का टिकट मिला जिनमें से दो को छोड़कर सभी चुनाव जीते. एक अन्य विधायक अमृता रावत की जगह उनके पति सतपाल महाराज को वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर चौबट्टाखाल से चुनावी समर में उतारा गया जहां से वह जीत भी गए.
अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री रावत अपने मंत्रिमंडल में कांग्रेस से आए विधायकों कितना महत्व देते हैं. वह पुरानी स्थिति को यथावत रखेंगे या इसमें कोई फेरबदल कर पार्टी के पुराने नेताओं पर ज्यादा भरोसा करेंगे. तीरथ सिंह रावत के सामने दूसरी बड़ी चुनौती गढवाल और कुमांउ के बीच क्षेत्रीय संतुलन साधने की भी होगी. कुमांउ से बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत के बीजेपी विधायक पिछले मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से नाराज थे और अब इनकी नाराजगी दूर करना भी एक बड़ी चुनौती होगी.
इसके अलावा, देहरादून कैंट से लगातार आठ बार विधायक चुने गए वरिष्ठ बीजेपी विधायक हरबंस कपूर और काशीपुर के चार बार के विधायक हरभजन सिंह चीमा भी वरिष्ठता को सम्मान न मिलने से आहत थे.
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