Uttarakhand: चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार एक बड़ा निर्णय लेने की तैयारी में है. सरकार में पर्यटन मंत्री सतपाल महराज ने बताया कि विशेषज्ञों से बात करके एक ऐसा नियम बनाने पर चर्चा की जा रही है, जिससे की एक व्यक्ति साल में एक ही बार चारधाम की यात्रा कर सके. अगले साल की यात्रा शुरू होने से पहले इस पर फैसला कर लिया जाएगा. ज्यादा भीड़ के चलते तीर्थस्थलों की इकोलॉजी को नुकसान पहुंचता है. चारधाम की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों का आधार कार्ड के जरिए रिकॉर्ड भी रक्खा जाएगा.


पहुंचे 50 लाख से भी ज्यादा यात्री
इस साल 50 लाख से भी ज्यादा यात्री चारधाम की यात्रा पर पहुंचे. इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के पहुंचने से एक रिकॉर्ड भी कायम हुआ. वहीं इसके दूसरे पहलू को देखा जाए तो इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के पहुंचने से तीर्थयात्रियों को जाम जैसे हालातों से दो-चार होना पड़ा. पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी इस स्थिति को सही नहीं माना गया.बीते 19 नंवबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे. अब 6 महीने बाद यात्रा शुरू होगी. 



हमारे देश में चार धाम यात्रा के दो स्वरूप हैं. छोटी चार धाम यात्रा और बड़ी चार धाम यात्रा देवभूमि उत्तराखंड में स्थित चार पवित्र धामों की यात्रा को छोटी चार धाम यात्रा के रूप में जाना जाता है. 


छोटी चार धाम यात्रा और बड़ी चार धाम यात्रा में क्या अंतर है?
उत्तराखंड में की जाने वाली चार धाम यात्रा यमुनोत्री से प्रारंभ होती है. यहां दर्शन करने के बाद भक्त गंगोत्री जाते हैं और फिर बद्रीनाथ और केदारनाथ. ये चारों धाम बहुत पवित्र हैं और सनातन धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति अपने जीवन में एक बार जरूर इन चारों तीर्थों के दर्शन करना चाहता है. क्योंकि हिंदू धर्म में इन धामों को मोक्ष का द्वार बताया गया है. जबकि बड़ी चार धाम यात्रा उत्तराखंड में भगवान बद्रीनाथ के दर्शन से प्रारंभ होकर गुजरात के द्वारका, उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी और तमिला नाडू के रामेश्वरम तीर्थ के दर्शनों के साथ संपन्न होती है.


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